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…जब ताऊ देवीलाल ने गवर्नर को जड़ दिया था थप्पड़, सन्न रह गए थे लोग

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी, 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। लेकिन आपको हरियाणा में ताऊ के नाम से पहचान रखने वाले दिग्गज नेता देवीलाल के एक किस्से से रूबरू करवाते हैं। चौधरी देवीलाल जितने नरम थे। उतने ही सख्त भी।

Haryana Assembly Elections: हरियाणा की 90 सीटों पर चुनाव के लिए एक अक्टूबर को वोटिंग होगी। वहीं, 4 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। इसी बीच एक राजनीतिक किस्सा आपको बता रहे हैं। जो हरियाणा में ताऊ के रूप में मशहूर रहे दिग्गज नेता चौधरी देवीलाल से जुड़ा है। 1982 की बात है, जब उन्होंने हरियाणा के तत्कालीन गवर्नर गणपतराव देवजी तापसे को थप्पड़ जड़ दिया था। उस समय हरियाणा में चुनाव संपन्न हुए थे। लेकिन किसी भी दल को स्पष्ट तौर पर जनादेश नहीं मिला था। यह भी पढ़ें:इन 5 परिवारों का रहा हरियाणा की सियासत में दबदबा, पोते-पोतियों ने संभाली दादा की विरासत ताऊ की पार्टी भारतीय राष्ट्रीय लोकदल और बीजेपी गठबंधन ने मिलकर 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। जिसने अकेले 36 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत थी। 22 मई 1982 को तापसे ने चौधरी देवीलाल को सरकार बनाने का न्योता दिया था। लेकिन इसी बीच भजनलाल ने कांग्रेस और निर्दलियों को एकजुट कर 52 विधायकों की लिस्ट राज्यपाल को थमा दी। इस पर राज्यपाल ने उनको सरकार बनाने का मौका दे दिया।

महाराष्ट्र के बड़े नेता थे तापसे

भजनलाल ने बिना देर किए तुरंत हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राज्यपाल के फैसले से देवीलाल इतना गुस्सा हो गए कि उन्होंने राजभवन का रुख किया। आते ही उनका राज्यपाल से विवाद हो गया। जिसके बाद देवीलाल ने उनकी ठुड्डी पकड़ ली। लोग सन्न रह गए और देखते ही देखते देवीलाल ने तापसे को थप्पड़ जड़ दिया था। राज्यपाल को सुरक्षा गार्ड मौके से ले गए थे। इस थप्पड़ की गूंज भारतीय राजनीति में लंबे समय तक देखने को मिली थी। देवीलाल ने अपने विधायकों को दिल्ली के होटल में शिफ्ट किया था। बताया जाता है कि वहां से विधायक निकल गए थे। तापसे को महाराष्ट्र का मंझा नेता माना जाता था। उन्होंने इस घटना को तूल नहीं दिया। आखिर राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी देवीलाल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। यह भी पढ़ें:चंपई सोरेन को लेकर क्या है BJP की रणनीति? इन 10 पॉइंट्स में समझिए यह भी पढ़ें:दो सीएम, चार बार उपचुनाव; जानिए 5 साल में कितनी बदली हरियाणा की राजनीति?  


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