Haryana Assembly Election: गोपाल कांडा हरियाणा की सियासत में बड़ा नाम हैं, जो हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट से विधायक हैं। उनके पिता का नाम मुरलीधर था, जो नामी वकील थे। गोपाल कांडा ने 90 के दशक में रेडियो रिपेयरिंग की दुकान खोली थी। इसके बाद कांडा शू शॉप अपने भाई के साथ मिलकर खोली। गोपाल कांडा ने 2009 में राजनीति में एंट्री की थी। पहली बार वे सिरसा से निर्दलीय चुनाव जीते। हुड्डा की सरकार में गृह राज्य मंत्री जैसे अहम विभाग का जिम्मा भी कांडा ने संभाला था। हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। उनकी पार्टी हलोपा का एनडीए से गठबंधन है। अभी बीजेपी से सीट बंटवारे को लेकर उनकी बातचीत चल रही है। सूत्रों की मानें तो कांडा ने बीजेपी से कई सीटों की डिमांड की है। उनके सियासी सफर पर नजर डालते हैं।
बीजेपी से कर चुके कई सीटों की डिमांड
गोपाल कांडा शनिवार रात बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से भी भेंट कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि कांडा ने बीजेपी से 6 सीटों की डिमांड की है। कितनी सीटें उनकी पार्टी को मिलती हैं? यह देखने वाली बात होगी। सीट बंटवारे पर जल्द फैसला हो सकता है। हलोपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष 2019 में दूसरी बार सिरसा से जीते हैं। 5 साल से उनकी पार्टी NDA में है। कांडा के भाई गोबिंद कांडा BJP में हैं। जो अपने बेटे धवल कांडा को रानियां से हलोपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़वाना चाहते हैं। हरियाणा के पूर्व विधायक और बीजेपी नेता रणजीत चौटाला भी इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसलिए पेंच फंस सकता है।
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कांडा की सियासी कहानी रोचक है। जूतों की दुकान खोलने के बाद उनकी पहचान बढ़ी। जिसके बाद जूतों की फैक्ट्री शुरू कर दी। 1999 में चौटाला के सीएम बनने के बाद वे इनेलो नेताओं के काफी करीब आ गए। इस दौरान उन्होंने कारोबार का विस्तार किया। 2007 में कांडा ने अपने पिता के नाम पर MDLR (मुरली धर लख राम) एयरलाइंस शुरू की थी। 2 साल बाद ही यह बंद हो गई। 2009 में उनकी एंट्री राजनीति में हुई थी। कांडा 5 अगस्त 2012 को विवादों में आ गए थे।
माननीय मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी जी के साथ चंडीगढ़ में मुलाकात की। इस दौरान सिरसा के विकास कार्यों को लेकर चर्चा हुई।@NayabSainiBJP @BJP4Haryana pic.twitter.com/nZQArSV3ZX
— Gopal Kanda (@kanda_mla) June 28, 2024
गीतिका सुसाइड मामले में आया था नाम
उनकी एयरलाइंस की पूर्व एयर होस्टेस गीतिका ने आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट में कांडा के खिलाफ आरोप लगाए थे। कांडा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कई दिन जेल में भी रहे। जेल से छूटने के बाद नई हरियाणा लोकहित पार्टी बनाई। लेकिन 2014 का चुनाव हार गए थे। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांडा को गीतिका मामले में 2023 में बरी कर दिया था।
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