केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन (JJM) योजना के क्रियान्वयन में सामने आई अनियमितताओं को लेकर सरकार ने लोकसभा में विस्तृत जानकारी दी है. जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि देश के कई राज्यों में वित्तीय अनियमितताओं और घटिया गुणवत्ता वाले कार्यों के मामलों में अब तक करीब ₹129.27 करोड़ की पेनल्टी लगाई जा चुकी है और वसूली की प्रक्रिया जारी है.
लोकसभा में पूछे गए तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने बताया कि तमिलनाडु, त्रिपुरा, गुजरात, असम, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित छह राज्यों में पेनल्टी लगाने और वसूली की कार्रवाई की गई है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा में ठेकेदारों से लिक्विडेटेड डैमेज के तहत वसूली की गई, जबकि कर्नाटक और त्रिपुरा में ईएमडी/एफडीआर जब्ती की कार्रवाई हुई है.
गुजरात में सबसे बड़ा मामला
सरकार के मुताबिक, गुजरात के महीसागर जिले के 620 गांवों में जल जीवन मिशन के तहत गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिससे राज्य को ₹120.65 करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ. इस मामले में 112 एजेंसियों से वसूली के आदेश दिए गए हैं.
हालांकि अब तक केवल ₹6.65 करोड़ की ही वसूली हो सकी है. राज्य सरकार ने सभी 112 एजेंसियों को डिबार कर दिया है और मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. जांच सीआईडी क्राइम ब्रांच कर रही है, जिसमें अब तक 9 अधिकारी और ठेकेदार गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
उत्तर प्रदेश में 14 हजार से ज्यादा शिकायतों की जांच
उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि जल जीवन मिशन से जुड़ी 14,264 शिकायतों की जांच शुरू की गई थी. इनमें से 14,212 मामलों में रिपोर्ट सौंप दी गई है, जबकि 52 मामलों की जांच जारी है. जांच के बाद 434 मामलों में कार्रवाई की गई, जिनमें 171 विभागीय अधिकारी, 120 ठेकेदार और 143 थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियां (TPIA) शामिल हैं.
600 से ज्यादा अधिकारी, 969 ठेकेदारों पर कार्रवाई
सरकार के अनुसार, 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिली जानकारी के आधार पर जल जीवन मिशन में अनियमितताओं के मामलों में अब तक
• 621 विभागीय अधिकारियों,
• 969 ठेकेदारों और
• 153 थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है. इनमें अधिकारियों पर निलंबन, विभागीय जांच और चार्जशीट की कार्रवाई की गई, जबकि ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने, अनुबंध रद्द करने, डिबार करने और पेनल्टी लगाने जैसे कदम उठाए गए हैं. टीपीआईए के मामलों में एम्पैनलमेंट रद्द करने और वसूली की कार्रवाई की गई है.
‘ड्रिंकिंग वॉटर’ राज्य का विषय
जल शक्ति मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पीने का पानी राज्य का विषय है और योजनाओं की योजना, क्रियान्वयन और रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है. केंद्र सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है. अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत के समय केवल 3.23 करोड़ (16.7%) ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन था, जबकि दिसंबर 2025 तक 15.76 करोड़ (81.41%) ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंच चुका है.
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
सरकार ने बताया कि मिशन के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए IMIS पोर्टल, आधार लिंकिंग, जियो-टैगिंग और थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन अनिवार्य किया गया है. राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी वित्तीय या गुणवत्ता से जुड़ी अनियमितता पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाए.
सरकार ने दोहराया कि जल जीवन मिशन में किसी भी तरह की लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी.









