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गुलाम नबी आजाद ने आतंकियों से की हथियार छोड़ने की अपील, मिली जान से मारने की धमकी

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद को जान से मारने की धमकी मिली है। बता दें कि आजाद ने आतंकवादियों से अपील की थी कि वे हथियार छोड़ दें। उनके इसी अपील के बाद उन्हें ये धमकी मिली है। एक आतंकवादी संगठन की ओर से आजाद को धमकी […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Sep 16, 2022 11:52
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद को जान से मारने की धमकी मिली है। बता दें कि आजाद ने आतंकवादियों से अपील की थी कि वे हथियार छोड़ दें। उनके इसी अपील के बाद उन्हें ये धमकी मिली है।

एक आतंकवादी संगठन की ओर से आजाद को धमकी दी गई है और उन्हें देशद्रोही करार दिया गया है। आतंकी संगठन की ओर से कहा गया है कि आजाद भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। बता दें कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में एक रैली को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा था कि बंदूक संस्कृति ने पीढ़ियों को नुकसान पहुंचाया है और वह कश्मीर घाटी में अधिक युवाओं को मरते नहीं देखना चाहते हैं।

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आजाद बोले- बंदूक कोई समाधान नहीं

आजाद ने कहा, “जिन लोगों ने बंदूक उठाई है, उनसे मेरा अनुरोध है कि बंदूक कोई समाधान नहीं है। बंदूक केवल विनाश और दुख लाती है।” बता दें कि आजाद ने पिछले महीने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी बनाने से पहले जम्मू-कश्मीर में कई बैठकें की हैं, जिसकी घोषणा अगले एक सप्ताह में होने की उम्मीद है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए आजाद ने कहा कि हिंसा ने कश्मीर घाटी में हजारों महिलाओं को विधवा और लाखों बच्चों को अनाथ बना दिया है। आजाद ने कहा कि एक पराजित देश (पाकिस्तान) जो अपने घर को व्यवस्थित नहीं कर सका, वह हमारे राज्य और देश को बर्बाद करने पर आमादा है।

मैं भावनात्मक और झूठे नारों के जरिए लोगों को धोखा नहीं दूंगा: आजाद

कांग्रेस के पूर्व नेता ने कहा कि वह उन नेताओं की तरह नहीं हैं जो चुनाव जीतने के लिए धार्मिक भावनाओं वाले नारे लगाते हैं। उन्होंने कहा कि मैं भावनात्मक और झूठे नारों के जरिए लोगों को धोखा नहीं दूंगा। आजाद ने कहा कि एक आतंकवादी समूह ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है, लेकिन वह शांति के रास्ते पर चलने से नहीं चूकेंगे।

बता दें कि आजाद ने बार-बार अपने समर्थकों से कहा है कि अगस्त 2019 में केंद्र सरकार द्वारा रद्द किए गए अनुच्छेद 370 को बहाल करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे फिर से बहाल करने के लिए संसद में 2/3 बहुमत की आवश्यकता है। सर्वोच्च न्यायालय अन्य विकल्प है। पिछले तीन वर्षों से सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की एक बार भी सुनवाई नहीं की है।

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आजाद ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए मना नहीं कर सकते। आजाद ने कहा, “यह उन कृषि कानूनों की तरह नहीं है जिन्हें पीएम मोदी ने वापस ले लिया था।” उधर, अनुच्छेद 370 पर आजाद के बयान का क्षेत्रीय दलों ने विरोध किया है।

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First published on: Sep 16, 2022 10:53 AM

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