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दिल्ली में शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिवस पर मनीष सिसोदिया ने ‘मेकिंग ऑफ ए रेवोलुशनरी’ नामक प्रदर्शनी का किया उद्घाटन

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर कश्मीरी गेट स्थित दिल्ली की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर कुदसिया बाग़ में कला,संस्कृति व भाषा विभाग द्वारा आयोजित शहीद भगत सिंह जी के जीवन वृतांत पर आधारित ‘मेकिंग ऑफ़ ए रेवोलुशनरी’ नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके […]

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर कश्मीरी गेट स्थित दिल्ली की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर कुदसिया बाग़ में कला,संस्कृति व भाषा विभाग द्वारा आयोजित शहीद भगत सिंह जी के जीवन वृतांत पर आधारित ‘मेकिंग ऑफ़ ए रेवोलुशनरी’ नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर सिसोदिया ने कहा कि भगत सिंह का पूरा जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। चाहे उनका बाल्यकाल हो, उनकी स्कूल-कॉलेज के दिनों की क्रांतिकारी गतिविधियां हो या फिर देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे से झूल जाना। वह हर वृतांत हमें देशभक्ति के भाव से भर देता है और देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है। अभी पढ़ें Ban on PFI: अजमेर दरगाह के दीवान ने PFI बैन का किया स्वागत, बोले- देश तोड़ने वालों को यहां रहने का अधिकार नहीं मंत्री सिसोदिया ने कहा कि 23 साल की छोटी उम्र में आज जब युवा नौकरी ढूंढने, करियर बनाने को लेकर सोच रहे होते है उस दौर में शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी प्रयासों और देश के लिए बलिदान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को दिशा और गति प्रदान की। यही कारण है कि आज वे सभी व्यक्ति जिनके अंदर देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है, भगत सिंह उन सभी के प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि लोगों को भगत सिंह के जीवन से सीखने और राष्ट्र के लिए उनके प्रयासों के महत्व को गहराई से समझने में मदद करने के लिए इस अगले एक महीने के लिए इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि लोग अपने दोस्तों-परिवार के साथ यहां आए और न केवल इस प्रदर्शनी को देखे व भगत सिंह जी की जीवन से सीख ले बल्कि दिल्ली के इतिहास धरोहर कुदसिया बाग़ में भी घुमने का लुत्फ़ उठाये। इस प्रदर्शनी में भगत सिंह के जन्म वर्ष 1907 से लेकर 1931 में उनकी मृत्यु तक के जीवन, इतिहास और घटनाओं को चार भागों में प्रदर्शित किया गया। पहले भाग में सरदार भगत सिंह के जन्म व उससे जुड़े स्थान, उनके परिवार, उनके विद्यालय आदि के बारे में अवगत कराया गया है। दूसरे भाग में भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों के आरंभ के बारे में दर्शाया गया है कि किस प्रकार बचपन से ही भगत सिंह ब्रिटिश राज के अत्याचारों के खिलाफ अपने दिल में बदले की भावना के बीज बो रहे थे। तीसरे भाग में दिल्ली की केन्द्रीय विधान सभा अर्थात् आज के संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह द्वारा फेंके गए बम और उससे संबंधित दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया है। अंतिम भाग में भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु तथा सुखदेव के हृदयविदारक फांसी के दृश्य को दर्शाते हुए शहीद भगत सिंह के त्याग, बलिदान और समर्पण व देश पर मर मिटने के जज्बे को सलामी दी गई है| प्रदर्शनी के निरंतरता में एक नुक्कड़ नाटक भी दिखाया गया जब भगत सिंह जेल में थे तब कैसे वे एक सफाई कर्मचारी को सभी जात-पात के बंधनों को तोड़कर अपनी बेबे के समान प्यार और सम्मान देते थे। यह निःशुल्क प्रदर्शनी जन सामान्य के 28 सितम्बर 2022 से 27 अक्टूबर 2022 समय सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुली हुई है। सरदार से शहीद बनने की इस कहानी को अभिलेखों और तकनीक के माध्यम से जिस प्रकार बारादरी की दीवारों पर उकेरा गया है वह देखने लायक है। अभी पढ़ें UP में मदरसा शिक्षा परिषद का बड़ा फैसला, अब छह घंटे चलेंगे मदरसे, दुआ और राष्ट्रगान से होगी शुरुआत

क्या है कश्मीरी गेट स्थित कुदसिया बाग़ का इतिहास

ऐतिहासिक कुदसिया बाग़ का निर्माण बुधवार से लगभग 300 साल पहले यमुना के किनारे निर्माण करवाया गया था। बाग़ चारदीवारी से घिरा हुआ था और यहां कई ऐतिहासिक इमारतें थी और एक महल था। लेकिन 1857 की क्रांति तथा उसके बाद हुए कई युद्धों के कारण ज़्यादातर इमारतें दशको पहले गायब हो चुकी है। 1857 की क्रांति के बाद इसकी संरचना में कई बदलाव किए गए| वर्तमान में यहां एक प्रवेश द्वार, एक मस्जिद व एक बारादरी या बावड़ी स्थित है। कुदसिया बाग का इतिहास भगत सिंह से भी जुड़ा हुआ है। असेम्बली में बम डालने से पहले भगत सिंह पहले कुदसिया बाग में ही एकत्र हुए थे जहां पर दुर्गा भाभी ने अपने खून से भगत सिंह का तिलक किया और उनकी पसंद की मिठाई खिलाई। केजरीवाल सरकार ने दशको से उपेक्षित इस बाग़ के संरक्षण करने का काम किया है| सरकार ने यहां इमारतों के रखरखाव के साथ यहां मौजूदा बाग को भी नया स्वरुप देने का काम किया है| जिससे यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे| इस अवसर पर सचिव (कला,संस्कृति एवं भाषा) सी.आर. गर्ग, उपसचिव (कला, संस्कृति एवं भाषा) श्रीमती प्रोमिला मित्रा और उपनिदेशक (अभिलेखागार) संजय कुमार गर्ग, प्रो. चमन लाल, प्रो. एस. इरफान हबीब के साथ-साथ स्थानीय नागरिक तथा जवाहरलाल नेहरू व दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र व छात्राएं भी उपस्थित थे। अभी पढ़ें – प्रदेश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें  


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