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दिल्ली

New Delhi Stampede: एक चूक ने छीनीं 18 जिंदगियां…रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के 5 चौंकाने वाले कारण

New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के एक नहीं कई कारण हैं। एक चूक ने 18 लोगों की जान ले ली। अगर सतर्कता बरतते हुए भीड़ कंट्रोल की जाती तो हादसा न होता। आइए हादसे के पीछे के चर्चित कारण जानते हैं...

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Feb 16, 2025 13:09
New Delhi Railway Station Stampede
New Delhi Railway Station Stampede

New Delhi Railway Station Stampede Reasons: नई दिल्ली में रेलवे स्टेशन पर भगदड़ आखिर क्यों और कैसे मची? किसकी गलती से और किस चूक के कारण 18 जानें चली गईं। प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, जिसके खत्म होने में 10 दिन बाकी हैं। 13 जनवरी से अब तक करीब 50 करोड़ लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं। प्रधानमंत्री से लेकर बॉलीवुड सेलेब तक स्नान कर चुके हैं, लेकिन इस बीच हादसे भी कम नहीं हुए। महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर भी भगदड़ मच चुकी है, जिसमें 36 लोग मारे गए थे। ताजा हादसा नई दिल्ली में रेलवे स्टेशन पर हुआ।

बीती रात रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने की होड़ में भगदड़ मच गई। धक्का मुक्की और एक दूसरे के नीचे दबने से 18 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 9 महिलाएं, 5 बच्चे और 4 पुरुष शामिल हैं। बिहार के 9 लोग, दिल्ली के 8 और हरियाणा का एक शख्स मारा गया। घायलों का इलाज LNJP अस्पताल में चल रहा है। रेल मंत्री हादसे की जांच का आदेश दे चुके हैं, लेकिन हादसा इंतजामों और सुरक्षा में चूक के कारण हुआ। पुलिस भीड़ कंट्रोल नहीं कर पाई। सरकार मरने वालों के लिए मुआवजे का ऐलान कर चुकी है, लेकिन भगदड़ क्यों और किन खामियों के कारण मची? आइए जानते हैं…

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ट्रेन का प्लेटफॉर्म नंबर बदला जाना

हादसा होने का एक कारण ट्रेन के लिए प्लेटफॉर्म का बदला जाना है। प्रयागराज जाने के लिए आने वाले 3 ट्रेनों में चढ़ने को लोग टिकट खरीद रहे थे। इन तीनों ट्रेनों में चढ़ने वाली भीड़ प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर थी। जब प्रयागराज स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंची तो अचाकन घोषणा हुई कि प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आने वाली भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर आ रही है। यह सुनते ही उस ट्रेन में चढ़ने वाले लोग 16 नंबर प्लेटफॉर्म की तरफ भागे, जिससे धक्का मुक्की हुई और भगदड़ मच गई। 90 प्रतिशत लोग प्रयागराज जाने वाले थे, लेकिन भीड़ ज्यादा होने से कंफर्म टिकट वाले भी डिब्बे में नहीं घुस सके।

2 ट्रेनों का देरी से आना

प्रयागराज जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 3 ट्रेंने शिवगंगा एक्सप्रेस, भुवनेश्वर राजधानी और स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस आनी थी, लेकिन 2 ट्रेनें भुवनेश्वर राजधानी और स्वतंत्रता सेनानी लेट चल रही थीं। शिवगंगा एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी तो उसमें चढ़ने के लिए लोग कोशिश कर रहे थे। तीनों ट्रेनों के यात्री प्लेटफॉर्म नंबर 12, 13 और 14 पर थे। बाकी ट्रेनों के आने की आनउंसमेंट होते ही भीड़ बेकाबू हो गई। प्लेटफॉर्म नंबर 14 और प्लेटफॉर्म नंबर 16 के पास बने एस्केलेटर के पास भगदड़ मच गई।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार ने भी बताया कि हादसा प्लेटफार्म नंबर 14 और 15 पर रात करीब साढ़े 8 बजे उस समय हुआ, जब लोग स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे। लोग शायद सोच रहे थे कि ट्रेनें नहीं आएंगी, इसलिए वे एक ही जगह पर जुटे रहे। जब ट्रेन आने की अनाउंसमेंट हुई तो दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने की होड़ में धक्का-मुक्की होने लगी और अचानक भगदड़ मच गई। इससे कुछ लोग प्लेटफार्म पर गिर पड़े। एस्केलेटर और सीढ़ियों पर फिसल गए और भीड़ में कुचले गए।

भीड़ प्रबंधन की कोई तैयारी नहीं

महाकुंभ में जाने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ा हुआ है। 2 वीकेंड हो गए, रेलवे स्टेशनों पर भीड़ देखी जा रही है, लेकिन रेलवे स्टेशन प्रशासन ने कोई कंट्रोल रूम नहीं बनाया। शनिवार को भी शाम 4 बजे से ही रेलवे स्टेशन भीड़ बढ़ने लगी थी, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। दिल्ली पुलिस और रेलवे पुलिस भी मौके पर तब पहुंची, जब हादसा हो गया। भीड़ ज्यादा होने के कारण ही यात्रियों में धक्का मुक्की मची, जिससे लोगों को चोटें आईं। ट्रेनें कैंसिल और लेट होने के कारण रेलवे स्टेशन पर भीड़ ज्यादा थी। समय से पहले से रेलवे स्टेशन पहुंचना तो लोगों का रुटीन और रेलवे मंत्रालय का नियम है, लेकिन भीड़ को कंट्रोल करने में रेल प्रशासन और दिल्ली पुलिस नाकाम रही।

भीड़ के बावजूद टिकटें बेची

भगदड़ मचने का एक कारण रेलवे स्टेशन पर भीड़ बढ़ने के बावजूद टिकटें बेचा जाना है। 400 सीटों के लिए हर घंटे 1500 टिकट बेचे गए, जबकि ट्रेनों में सीटों के हिसाब से टिकटें बेची जानी चाहिए थीं। किसी भी ट्रेन में जनरल बोगी के 4 कोच होते हैं। 2 कोच ट्रेन के अगले हिस्से में और 2 पिछले हिस्से में लगे होते हैं। हर कोच में 90 से 100 सीटें होती हैं, लेकिन इन सीटों पर बैठकर सफर कर सकते हैं। सोने की सुविधा नहीं होती। तीनों ट्रेनों की बुकिंग फुल हो गई थी, इसके बावजूद टिकट बेचे गए।

सीढ़ियों और फुटब्रिज पर बैठे लो

हादसे का एक कारण भीड़ बढ़ने से लोगों का सीढ़ियों और फुटब्रिज पर बैठना था, जिन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। न ही हादसे के बाद कोई हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया, बल्कि प्लेटफॉर्म को बंद करके साफ-सफाई करा दी गई। भीड़ इतनी थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी। DCP रेलवे केपीएस मल्होत्रा ने भी कहा कि हमें भीड़ होने की उम्मीद थी, लेकिन यह सब कुछ ही समय में हो गया और इसलिए यह स्थिति पैदा हुई। रेलवे जांच करेगा और पूछताछ के बाद हमें घटना के पीछे का कारण पता चलेगा।

First published on: Feb 16, 2025 10:26 AM

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