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दिल्ली

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ होगी जांच, न्यायपालिका में कब-कब सामने आए चौंकाने वाले मामले?

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के मामले में जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले को गंभीर मानते हुए दिल्ली हाई कोर्ट को विशेष निर्देश दिए हैं। कुछ फोटो भी अपनी वेबसाइट पर न्यायालय ने जारी किए हैं। विस्तार से मामले के बारे में जानते हैं।

Author Reported By : Prabhakar Kr Mishra Edited By : Parmod chaudhary Updated: Mar 23, 2025 15:11
yashwant verma
जस्टिस यशवंत वर्मा।

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच उच्च न्यायालय ने कर ली है। सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मामला बेहद गंभीर है, इसकी जांच होनी चाहिए। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगने के समय के फोटो और वीडियो भी हैं, जिनमें कुछ जले नोटों की गड्डियां दिखाई दे रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया है। यशवंत वर्मा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे साजिश करार दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक काम नहीं सौंपा जाएगा।

3 सदस्यीय कमेटी करेगी जांच

जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। कमेटी में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया गया है। कमेटी के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। कमेटी की जांच के बाद पता चलेगा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ साजिश हुई है या उनके घर में मिला पैसा भ्रष्टाचार का था।

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7 साल पहले 12 जनवरी 2018 को न्यायपालिका में उस समय हंगामा मच गया था, जब सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका था, जब सुप्रीम कोर्ट के जजों ने मीडिया के सामने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए थे। जजों का आरोप था कि दीपक मिश्रा बिना पारदर्शिता मामलों का बंटवारा कर रहे थे। जूनियर जजों को संवेदनशील मामले सौंपे जा रहे थे। यदि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं को नहीं बचाया गया तो लोकतंत्र नहीं बचेगा। कुछ दिन तक मामला गर्माया था।

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जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ लगे आरोप

उसके साल भर बाद न्यायपालिका में एक मामला फिर गर्मा गया। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगे थे। 20 अप्रैल 2019 को कुछ वेबसाइटों पर रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों की खबर छपी थी। देश के इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के रूप में काम करने वाली एक 35 वर्षीय महिला ने 22 जजों को एफिडेविट भेजकर जस्टिस गोगोई के खिलाफ शिकायत दी थी। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की कमेटी बनी थी। सभी आरोप निराधार पाए गए और महिला कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया गया था। हालांकि उसे वापस बहाल भी कर दिया गया। आज पूर्व जस्टिस गोगोई राज्यसभा के सदस्य हैं।

जब सुप्रीम कोर्ट के जज भरी अदालत में रोने लगे

एक और मामले ने न्यायपालिका में तहलका मचा दिया था, जब भरी अदालत में सुप्रीम कोर्ट के एक जज रोने लगे थे। ये घटना साल 2007 की है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए रिव्यू याचिका दायर की थी। 17 मार्च 2007 को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी।

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सुनवाई करने वाले जज जस्टिस एआर लक्ष्मणन ने ये कहते हुए धमाका कर दिया था कि सुबह उनके घर पर एक गुमनाम चिट्ठी आई थी, जिसमें उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे। जस्टिस लक्ष्मणन ने रोते हुए कहा कि उनके करियर में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई। वे बहुत दुखी थे, जो अगले हफ्ते ही रिटायर होने वाले थे। बेंच के साथी जज जस्टिस अल्तमस कबीर भी सकते में थे। सुप्रीम कोर्ट के तमाम बड़े वकीलों ने जस्टिस लक्ष्मणन को चुप करवाया था। हालांकि मामला क्या था, इस बारे में अधिक पता नहीं लग सका?

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Parmod chaudhary

Reported By

Prabhakar Kr Mishra

First published on: Mar 23, 2025 03:11 PM

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