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रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखा पत्र, आरक्षण संशोधित प्रावधान को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध

रायपुर: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। खत में छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिसम्बर 2022 में पारित विधेयक के अनुसार आरक्षण संशोधित प्रावधान को संविधान की 9वीं सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा दिसम्बर […]

Edited By : Gyanendra Sharma | Updated: Apr 17, 2023 17:10
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bhupesh baghel

रायपुर: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। खत में छत्तीसगढ़ विधानसभा में दिसम्बर 2022 में पारित विधेयक के अनुसार आरक्षण संशोधित प्रावधान को संविधान की 9वीं सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा दिसम्बर 2022 में राज्य के विभिन्न वर्गों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और ई.डब्ल्यू.एस. के लोगों को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने के उद्देश्य से पारित विधेयक के अनुसार आरक्षण के संशोधित प्रावधान को संविधान की नवमीं सूची में शामिल करने का आग्रह किया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा दिसम्बर 2022 में पारित आरक्षण (संशोधन) विधेयक में राज्य में अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और ई.डब्ल्यू.एस. को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए आरक्षण के संशोधित प्रावधान को नवमीं सूची में शामिल कराए जाने से ही वंचितों एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय प्राप्त हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से इसके लिए सर्वसंबंधितों को निर्देशित करने का आग्रह किया है।

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मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ की कुल आबादी में 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के 42 प्रतिशत लोग शामिल हैं। राज्य का 44 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है तथा बड़ा भू-भाग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इन सब कारणों से ही राज्य के मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भागों में आर्थिक गतिविधियां संचालित करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में गरीबों की संख्या देश में सर्वाधिक (40 प्रतिशत लगभग) थी। राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षणिक दशा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तरह ही कमजोर है। इन वर्गों के 3/4 भाग कृषक सीमांत एवं लघु कृषक हैं तथा इनमें बड़ी संख्या में खेतिहर मजदूर भी हैं।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि राज्य में वर्ष 2013 से अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों हेतु क्रमशः 12, 32 एवं 14 प्रतिशत (कुल 58 प्रतिशत) आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2022 में निरस्त किया गया। राज्य की विधानसभा द्वारा दिसम्बर 2022 में पुनः सर्वसम्मति से विधेयक पारित कर विभिन्न वर्गों की जनसंख्या के आधार पर अजा, अजजा, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं ई.डब्ल्यू. एस. के लोगों के लिये आरक्षण का संशोधित प्रतिशत क्रमशः 13, 32, 27 एवं 4 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया। यह विधेयक वर्तमान में महामहिम राज्यपाल के पास अनुमोदन हेतु लंबित है।

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सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने नवम्बर 2022 में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को वैध ठहराये जाने से आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने का मार्ग खुल चुका है। विगत माह में झारखण्ड एवं कर्नाटक विधानसभा में विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक करने के प्रस्ताव पारित किये गये हैं।

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Edited By

Gyanendra Sharma

First published on: Apr 17, 2023 05:10 PM

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