Chhattisgarh’s Ulloor Sanjay Para Durgam Nagesh Success Story: हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत की हाथ होता है। ये एक बार फिर से सच साबित हुई है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र उल्लूर संजय पारा का है। दरअसल उल्लूर संजय पारा के दुर्गम नागेश को भगवान की मूर्तिया बनाने का शौक था, जिसे उसकी पत्नी ने नए पंख लगाकर कमाई का जरिया बना दिया।
मिट्टी के खिलौने
जानकारी के अनुसार दुर्गम नागेश को बचपन से ही मिट्टी की मूर्तियां बनाने का शौक था। जब छोटा था तब वो मिट्टी के खिलौने बनाया करता था। इसके बाद जैसे ही वो बड़ा हुआ मिट्टी के खिलौने की उसने भगवान की तरह-तरह की मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया।
किस्मत ने भी दिया साथ
दुर्गम नागेश ने बताया कि गांव में लोग उनकी बनाई मूर्तियों को कम दाम में खरीदा करते थे, जिससे उनका गुजारा भी मुश्किल से होता था। सिलसिला ऐसे ही चल रहा था कि कुछ साल बाद उनके पास पहला आडर आया जिसमें उन्हे गांव के गणेश महोत्सव में गणेश जी की मूर्ति बनानी थी। उन्होने बड़े उत्साह और लगन से मूर्ति बनाई सभी को मूर्ति पसंद भी आई। इसके बाद से गांव के आसपास के लोग गणेश व दुर्गा उत्साह में भी उनसे मूर्तियां बनवाने लगे, धीरे-धीरे वो अब तीन साल से ब्लॉक मुख्यालय में अपनी मूर्तियां बेच रहे हैं।
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नुमाईशों में लगती थी मूर्तियां
इतना ही नहीं गांव में आसपास के मेले में दुर्गम नागेश की बनाई मूर्तियों का स्टॉल लगता है। दुर्गम नागेश बताते है कि मेले में भगवान की छोटी-छोटी मूर्तियां और मिट्टी के खिलौने बनाकर बेचते है। जिसकी कीमत पचास से लेकर दो सौ रूपये तक होती है। इन मूर्तियों को बेचकर वे एक हजार से लेकर दो हजार तक का मुनाफा कमा लेते हैं। मूर्तियों को कलर कर उभारने के लिए नागेश ने एक-एक पैसा जोड़कर 10 हजार में पेंट करने की मशीन खरीदी थी। काम के शुरूआती समय में हाथ से मूर्तियों में कलर लगाते थे। पांच साल पहले उन्होने तेलगांना के मंचिरियाल शहर जाकर दस हजार में कम्प्रेशर मशीन ली है। तब से वे बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाने का काम कर पा रहे हैं।
दुगर्म नागेश ने बताया कि इस सब में उनकी पत्नी ने उनका बहुत साथ दिया है। उनकी वजह से ही वो इतना सब कुछ कर पाए हैं।