---विज्ञापन---

छत्तीसगढ़ की योजनाओं के साथ अन्नू ने बदली अपनी तकदीर, आत्मनिर्भर बन बनी कई लोगों के लिए प्रेरणा

Didi E-Rickshaw Assistance Scheme: दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के साथ छत्तीसगढ की महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भर और परिवार के लिए बन रही हैं सहारा।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Sep 30, 2024 19:41
Share :
Didi E-Rickshaw Assistance Scheme
Didi E-Rickshaw Assistance Scheme

Didi E-Rickshaw Assistance Scheme: छत्तीसगढ़ की साय सरकार लगातार प्रदेश के विकास के लिए कम कर रही है। आम लोग हर काम में आत्मनिर्भर बन पाएं, इसके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। इसी में दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना से छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की अन्नू को आर्थिक रूप से सहायता मिली है। दरअसल, अन्नू साहू के पति बीमार थे और काम नहीं कर पा रहे थे, वहीं अन्नू की घरेलू कामगार के रूप में होने वाली आय उनके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।

जब उनके घर में निराशा का माहौल छाया हुआ था, तब अन्नू ने यह तय किया कि उन्हें किसी अन्य पेशे की ओर रुख करना होगा। अन्नू छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की गलियों में अपनी ई-रिक्शा चलाती हैं, लोग उन्हें ध्यान से देखते हैं। हल्की ठंडी हवा और सड़कों के शोर के बीच अन्नू आत्मविश्वास से आगे बढ़ती हैं और पीछे मुड़कर नहीं देखतीं।

बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई

अन्नू ने बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घरेलू कामगार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन इस काम में सही आय नहीं मिल पा रही थी। राजनांदगांव की बस्तियों में, जहां अन्नू रहती थीं, साथी मजदूर अक्सर अपने अनुभव साझा करते थे। अन्नू ध्यान से सुनतीं, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के तरीके जानने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।

दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना

अन्नू के जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने श्रम विभाग की दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के बारे में सुना। यह योजना महिलाओं को ई-रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें आर्थिक स्वावलंबन का अवसर देती है। अन्नू ने इस अवसर को दोनों हाथों से थाम लिया। जिला श्रम अधिकारी की मदद से अन्नू ने जल्दी से आवेदन प्रक्रिया पूरी की, आवश्यक दस्तावेज जमा किए और अपना आवेदन प्रस्तुत किया। जब उनका आवेदन मंजूर हुआ, तो अन्नू ने पहली बार सफलता और आर्थिक स्वतंत्रता का स्वाद चखा।

ई-रिक्शा ड्राइवर के रूप में काम करके अन्नू ने अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया। जल्द ही उनकी आय नियमित हो गई, और अब वह हर महीने 20 से 25 हजार रुपये कमा रही है। जो उनकी पिछली आय से लगभग चार गुना थी। उन्होंने अपने बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक मिसाल कायम की। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ और औसत पारिवारिक आय 40 से 45 हजार रुपये प्रति माह तक पहुंच गई।

अन्नू की यात्रा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के महत्व को उजागर करती है। जब इन्हें लचीले और उत्तरदायी तरीके से डिज़ाइन किया जाता है, तो ये योजनाएं हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सामने आने वाले विविध जोखिमों का समाधान कर सकती हैं, स्थाई आजीविका में मदद कर सकती हैं। अन्नू की कहानी इस बात की गवाही है कि लक्षित हस्तक्षेप कैसे व्यक्तियों को उनके जीवन को बदलने और उनके परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य सुरक्षित करने में सक्षम बना सकते हैं।

ये भी पढ़ें- कंपनसेशन सेस पुनर्गठन के सदस्य बने छत्तीसगढ़ वित्त मंत्री ओपी चौधरी, कई राज्यों के मंत्री भी बने मेंबर

HISTORY

Written By

Deepti Sharma

First published on: Sep 30, 2024 07:39 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें