बिलासपुर: सहायता समूह की दीदियां अब केवल घर तक ही सीमित नहीं है। घर की चार दीवारियों से निकलकर घर-परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों में अपनी पूरी भागीदारिता भी निभा रही है। उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रख अपनी जैसी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई है। इन दीदीयों ने स्वयं का रोजगार स्थापित कर आर्थिक सशक्तीकरण की एक मिसाल पेश की है।
यह सफलती की कहानी है तखतपुर विकासखण्ड के एक छोटे से ग्राम पंचायत घुटकू की जहां लक्ष्मी स्व सहायता समूह की दीदियां अपना स्वरोजगार स्थापित कर अपनी आर्थिक स्थिति दृढ़ता के साथ मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। समूह की दीदियों ने बताया कि वह अभी छोटे स्तर पर आटा चक्की की मशीन डालकर गेंहू और मसाला पिसकर बेचने का कार्य कर रही है। उनका लक्ष्य इस छोटे से व्यापार को व्यापक स्तर पर ले जाना है। शासन से मिली आर्थिक सहायता की राशि से उनके द्वारा 26 हजार रूपए की लागत से मशीनरी की खरीदी की गई। समूह की महिलाओं द्वारा पूरी गुणवत्ता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए कार्य किया जा रहा है। उनके उत्पादों की गुणवत्ता को देखते हुए बड़े व्यापारी भी उनके उत्पादों को खरीदने में रूची दिखा रहे है।
दीदीयों द्वारा भविष्य में अपने उद्यम के ईकाई विस्तार हेतु कार्ययोजना भी बनाया जा रहा है। समूह की एक दीदी ने बताया कि पहले वह अपने परिवार के साथ खेती-बाड़ी का कार्य करती थी। खेती से आय का बहुत ही कम स्त्रोत प्राप्त होता था, जिससे परिवार का खर्च बहुत मुश्किल से निकलता था। भविष्य के लिए पैसों की बचत कर पाना भी बहुत दूर की बात थी। वे बताती हैं कि अब वे इस कार्य से बहुत खुश है। घर के कामों के साथ ही साथ इस कार्य के लिए समय मिल जाता है और कुछ पैसों की आमदनी भी हो जाती है। इन दीदियों की सफलता को देख क्षेत्र की अन्य महिलाएं भी प्रेरित होकर कार्य से जुड़ने के लिए रूचि दिखा रही है।