Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी एक साल पहले ही शुरू हो गई है। 2025 की सियासी लड़ाई में बिहार के मुख्यमंत्री अपनी किलेबंदी में जुटे हुए हैं। 2024 के चुनाव में राहुल गांधी की दो यात्राओं के असर ने राजनेताओं को यात्रा का महत्व नए सिरे से समझाया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए कांग्रेस को राजनीति के अखाड़े में फिर से खड़ा कर दिया है। जाहिर है कि इसका असर अन्य पार्टियों पर भी होना था। 4 जून 2024 को संसदीय चुनावों का परिणाम आने के तीन महीने बाद तेजस्वी यादव फिर से बिहार की यात्रा पर हैं, तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यात्रा निकालने की योजना बना ली है। दूसरी ओर सीमांचल में दबदबा रखने वाले पप्पू यादव ने वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर यात्रा का ऐलान कर दिया है।
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नीतीश का ‘नया निश्चय’
नीतीश कुमार पर भले ही पलटी मारकर सत्ता में बने रहने का आरोप लगता हो, लेकिन बिहार के सीएम को पता है कि 2025 का विधानसभा चुनाव उनकी राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। इसलिए नीतीश कुमार अपनी कोशिशों में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते हैं। तेजस्वी यादव की आभार यात्रा के मुकाबले में नीतीश कुमार जल्द ही पूरे बिहार की यात्रा पर निकल सकते हैं। जेडीयू ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है। तेजस्वी पूरे बिहार में कार्यकर्ता संवाद यात्रा निकाल रहे हैं और विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों से मुलाकात कर रहे हैं। ताकि विधानसभा चुनाव की तैयारी में कोई कोर कसर बाकी ना रहें।
जेडीयू के संगठन को दी नई धार
नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी में जेडीयू के संगठन को नई धार दी है। पार्टी के 13 विभागों के नए प्रभारियों की नियुक्ति की गई है। 2 मंडलों को भी नए प्रभारी मिले हैं। वहीं 243 विधानसभा सीटों के लिए नए इंचार्ज बनाए गए हैं। बता दें कि जेडीयू ने हाल ही में बिहार प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया था और फिर उसी दिन नई कार्यकारिणी बनाई गई। उमेश कुशवाहा के नेतृत्व में जेडीयू की नई कार्यकारिणी में 10 उपाध्यक्ष, 49 महासचिव, 46 सचिव और 9 प्रवक्ता बनाए गए हैं।
पप्पू यादव ने किया यात्रा का ऐलान
बंगाल और झारखंड से सटे बिहार के इलाकों में अल्पसंख्यक वोट निर्णायक हैं। इस इलाके को सीमांचल के तौर पर जाना जाता है। शुक्रवार को अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि बिहार भर में वक्फ संवैधानिक यात्रा निकालेंगे। पप्पू यादव ने कहा कि हम वक्फ बोर्ड बिल के खिलाफ हैं। और इसके खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए वक्फ संवैधानिक यात्रा 29 सितंबर को अररिया, 30 को किशनगंज और 31 को कटिहार कोसी होते हुए सीमांचल जाएगी। और फिर पटना के गांधी मैदान आएगी। पप्पू यादव की इस यात्रा के बड़े मायने हैं। पप्पू यादव का कांग्रेस के साथ जुड़ाव जगजाहिर है। वह भले ही निर्दलीय चुनाव लड़े हों, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया था। किशनगंज, कटिहार जैसे इलाके कांग्रेस के गढ़ हैं। देखना होगा कांग्रेस पप्पू यादव की इस यात्रा पर कैसे रिएक्ट करती है।
तेजस्वी यादव की आभार यात्रा
लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को भले ही आशातीत सफलता न मिली हो, लेकिन चुनाव से पहले चाहे पटना का गांधी मैदान हो या बिहार की यात्राएं… आरजेडी नेता को जनता का जबरदस्त समर्थन मिला। बिहार में विधानसभा चुनाव अगले साल नवंबर-दिसंबर में होंगे, लेकिन तेजस्वी यादव ने इसकी तैयारी बहुत पहले ही शुरू कर दी है। पिछली बार के चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन पार्टी सरकार बना पाने में असफल रही। तेजस्वी इस बार मौका चूकना नहीं चाहते हैं। लिहाजा आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में डलवाने के मुद्दे पर लगातार मुखर हैं। कुशवाहा वोटरों को अपने पाले में करने के लिए भी आरजेडी ने अभियान चला रखा है।
बिहार की राजनीति में तीनों नेताओं की यात्रा का असर देखने के लिए इंतजार करना होगा। लेकिन नीतीश कुमार की सक्रियता बता रही है कि बिहार के मुख्यमंत्री खुद को साबित करने के लिए नई ऊर्जा के साथ जुट गए हैं।