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Explainer: आखिर राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा कैसे मिलता है, जिसकी मांग बिहार कर रहा है, जानें क्या है नियम

Bihar Caste Survey: भौगोलिक या सामाजिक-आर्थिक नुकसान का सामना करने वाले राज्यों के विकास में सहायता के लिए केंद्र सरकार द्वारा विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है।

Edited By : Swati Pandey | Updated: Nov 27, 2023 19:23
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Bihar Caste Survey: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा (एससीएस) देने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पास किया है। यह प्रस्ताव बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण के आधार पर लाया गया है। सर्वेक्षण में पता चला है कि बिहार की लगभग एक-तिहाई आबादी गरीबी में जी रही है। इसिलए नीतीश की सरकार ने बिहार को विशेष श्रेणी का दर्ज देने की मांग केंद्र सरकार से की है। आइए जानते हैं कि विशेष श्रेणी का दर्जा (एससीएस) किस आधार राज्य को दिया जाता है।

राज्य में इन पांच स्थितियां होने पर मिलता है विशेष श्रेणी का दर्जा

बता दें कि भौगोलिक या सामाजिक-आर्थिक नुकसान का सामना करने वाले राज्यों के विकास में सहायता के लिए केंद्र सरकार द्वारा विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि एससीएस अधिनियम को 1969 में पांचवें वित्त आयोग (एफसी) की सिफारिश पर पेश किया गया था। जिसके तहत पांच कारणों, जैसे पहाड़ी और कठिन इलाका, कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ रणनीतिक स्थान, आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन और राज्य की गैर-व्यवहार्य प्रकृति एससीएस देने से पहले वित्त पर विचार किया जाता है।

इन राज्यों को मिल चुका है एससीएस

बता दें कि 1969 में जम्मू और कश्मीर, असम और नागालैंड को SCS प्रदान किया गया। इसके बाद, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित आठ और राज्यों को पूर्ववर्ती राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा एससीएस दिया गया है।

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एससीएस से राज्य को मिलता है यह लाभ

बतातें चले एससीएस प्राप्त राज्यों को गाडगिल मुखर्जी फार्मूला के आधार पर अनुदान मिलता है। इसके तहत कुल केंद्रीय सहायता का लगभग 30 फीसद एससीएस राज्यों को दिया जाता है। हालांकि, योजना आयोग की समाप्ति और 14वें, 15वें वित्त कमीशन की सिफारिशों के बाद एससीएस राज्यों को ये सहायता सभी राज्यों को बांटी जाने वाले फंड के बराबर कर दिया गया है। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को केंद्र की योजनाओं दिया जाने वाला फंड 90:10 के अनुपात में बांटा जाता है। वहीं, इसके अलावा, नए उद्योग स्थापित करने के लिए निवेश लाने के लिए कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी, इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स में भी छूट मिलती है।

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इसलिए बिहार को जरूरी है एससीएस

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी विभिन्न राजनीतिक दलों ने बिहार को विशेष श्रेणी दर्जा देने की वकालत कर चुके हैं। बिहार में गरीबी और पिछड़ापन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, सिंचाई के लिए पानी की कमी, उत्तरी क्षेत्र में लगातार बाढ़ और राज्य के दक्षिण हिस्से में पड़ने वाले सूखा को दर्शाते हुए एससीएस की वकालत हो रही है। इसके अलावा बिहार और झारखंड अलग होने के कारण रोजगार और निवेश के अवसरों में कमी आ गई है। इसके साथ ही लगभग 54 हजार की जीडीपी के साथ बिहार लगातार सबसे गरीब राज्यों में से एक है, जो एससीएस के लिए अहम है।

First published on: Nov 27, 2023 07:23 PM

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