बिहार में चुनाव की सरगर्मी जोरों पर हैं. इस समय बिहार में चुनावी माहौल है और सभी का ध्यान बिहार की राजनीति ने हमेशा से खींचा है. तो चलिए इस खबर में आज ये जानते हैं कि जिस राज्य को आज बिहार कहा जाता है आखिर उसका नाम बिहार ही क्यों पड़ा… दिल्ली, पंजाब या कोई और क्यों नहीं. इसके पीछे का कारण जानते हैं.
इस समय राज्य में चुनावी माहौल अपने चरम पर है. 14 नवंबर को राज्य के लोग अपने भविष्य का फैसला करेंगे. ऐसे में ये जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर बिहार के नाम की उत्पत्ति कहां से हुई और इसके पीछे की कहानी क्या है.
दरअसल जब भी हम लोग बिहार का नाम सुनते हैं तो हमारे मन में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, भगवान बुद्ध की तपोभूमि और महावीर की जन्मस्थली की ही तस्वीर बनती है, लेकिन इस नाम की जड़े और भी अधिक गहरी और ऐतिहासिक हैं.
कैसे पड़ा बिहार का नाम ‘बिहार’?
बता दें कि बिहार का नाम संस्कृत शब्द ‘विहार’ से लिया गया है. ‘विहार’ का अर्थ ‘ठहरने की जगह’ होता है. वहीं, प्राचीन काल में बिहार की धरती पर बौद्ध भिक्षुओं के लिए कई मठ और आश्रम बनाए गए थे, जिन्हें ‘विहार’ कहा जाता था.
बिहार में ये विहार ही बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार और शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे. धीरे-धीरे यह क्षेत्र ‘विहारों की भूमि’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जो बाद में ‘बिहार’ बन गया.
गुप्त काल में बिहार बौद्ध धर्म का था गढ़
प्राचीन समय में खासकर मौर्य और गुप्त काल में बिहार बौद्ध धर्म का गढ़ था. पाटलिपुत्र जो आज के समय में पटना है उस समय में मगध साम्राज्य की राजधानी था. बौद्ध भिक्षु इन विहारों में रहकर ध्यान और शिक्षण का कार्य करते थे.










