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पलटी मार नीतीश कुमार को खुली चुनौती, ठगा जा रहा हमारा समाज

Nitish Kumar CM Oath : बिहार में भले ही नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर सरकार बना ली है, लेकिन इससे एक समाज नाराज भी हो गया है।

नीतीश कुमार से नाराज है कानू हलवाई समाज।
Nitish Kumar CM Oath : नीतीश कुमार के एनडीए खेमे में शामिल होने को लेकर बिहार के कानू हवाई समाज ने खुली चुनौती दी है। बिहार के औरंगाबाद में स्थित गांधी मैदान में हुए महासम्मेलन में कानू-हलवाई संघर्ष सेवा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव कानू ने कहा कि यह बिहार की विडंबना है कि नीतीश कुमार कभी आरजेडी तो कभी बीजेपी के साथ चले जाते हैं। इससे बिहार के लोग ठगे जाते हैं। हमारे समाज के लोग ठगे जाते हैं, लेकिन अब हमारा समाज ठगे जाने को तैयार नहीं है। संजीव कानू ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में बिहार में कानू-हलवाई समाज को आबादी के अनुसार सत्ता में हिस्सेदारी और राजनीति में भागीदारी नहीं मिली तो हम राजनीतिक दलों को सबक सिखाएंगे। नीतीश कुमार को भी मजा चखाएंगे। वोट की चोट देंगे। लोकतांत्रिक सिस्टम के तहत समाज के लोग नोटा का बटन दबाएंगे। यह भी पढ़ें : बिहार में बदलती सरकार, मुख्यमंत्री बरकरार, जानें नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर राज्य सरकार ने हमारे समाज की उपेक्षा की कानू-हलवाई समाज ने कहा कि कहा कि संगठन के आह्वान पर कानू-हलवाई समाज वोट की चोट देकर हमारा हिस्सा नहीं देने वालों को हराएगा तो वे औकात में आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर राज्य की सरकार ने हमारी उपेक्षा की है। बिहार में हमारी आबादी 7 प्रतिशत है, लेकिन जातीय सर्वे में सरकार ने हमारी आबादी को कम कर मात्र 3 प्रतिशत दिखाया है। यह हमारे समाज के साथ नाइंसाफी है। हमने अपने संगठन के स्तर से पता लगाया है तो पता चला कि हर ब्लॉक में सर्वेक्षण नहीं हुआ है। इस कारण हम इस सर्वेक्षण और उसके आंकड़ों को सिरे से खारिज करते हैं। फिर से कराया जाए जातीय सर्वे उन्होंने आगे कहा कि बिहार में हम मांग करते हैं कि फिर से जातीय सर्वे कराया जाए। सरकार हमारे समाज की संख्या के सही आंकड़ों को सामने नहीं लाई। राजनीतिक दल लोकसभा-विधानसभा चुनाव में हमारे समाज को आबादी के अनुरूप टिकट दे। जितनी जिसकी आबादी, उतनी उसकी हिस्सेदारी, ये कहने से काम नहीं चलेगा। संगठन के प्रदेश सचिव दिलीप कुमार गुप्ता ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि तीन प्रतिशत आबादी और वोट परसादी नहीं चलेगा। हमारे समाज का वोट परसादी के रूप में अलग-अलग राजनीतिक दलों में नहीं बंटेगा। हमारे समाज का एकमुश्त वोट उस दल को मिलेगा जो हमारे समाज को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हमारे समाज के नेताओं को टिकट देगा।


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