हर साल बिहार में मानसून के दौरान कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं, जिससे लोगों की जिंदगी प्रभावित होती है। खेतों में पानी भर जाता है, सड़कें टूट जाती हैं और कई परिवारों को अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ता है। ऐसे में बाढ़ से पहले तैयारी करना बहुत जरूरी होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने इस बार संभावित बाढ़ से मुकाबले के लिए कमर कस ली है। जल संसाधन विभाग ने तटबंधों की मरम्मत, निगरानी, चेतावनी प्रणाली और नेपाल से समन्वय जैसे कई कदम उठाए हैं।
बिहार सरकार की बाढ़ से निपटने की तैयारियां
बिहार में मानसून का मौसम आने वाला है। इस लिए सरकार ने बाढ़ से बचाव के लिए पूरी तैयारी कर ली है। जल संसाधन विभाग ने बाढ़ से निपटने के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं ताकि बाढ़ आने पर कोई परेशानी न हो। हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ और सूखे की तैयारी की जांच की। इस दौरान विभाग के मुख्य अधिकारी संतोष कुमार मल्ल ने बताया कि बाढ़ रोकने के लिए क्या-क्या काम किए गए हैं। बैठक में नदी के किनारे की कटाव रोकने वाले काम, तटबंध की देखभाल, विशेषज्ञों की टीम लगाना, नेपाल के साथ मिलकर काम करना और बाढ़ की जानकारी देने वाली व्यवस्था पर खास ध्यान दिया गया।
नदियों पर कटाव रोकने और तटबंधों की निगरानी
बाढ़ से बचने के लिए सरकार ने नदियों के किनारे 394 जगहों पर कटाव रोकने का काम करवाया है। ये काम गंगा, कोशी, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा जैसी नदियों पर किए गए हैं। इन कामों पर करीब 1310 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। ये पैसे राज्य सरकार, केंद्र सरकार और आपदा राहत फंड से दिए गए हैं। बाढ़ के समय तटबंध (नदी किनारे की मिट्टी की दीवार) की निगरानी के लिए हर एक किलोमीटर पर एक तटबंध कर्मचारी तैनात किया जाता है। इसके अलावा जहां तटबंध कमजोर होता है, वहां एम्बुलेंस, अधिकारियों के रुकने की जगह, पीने का पानी और शौचालय जैसी जरूरी सुविधाएं भी रखी जाती हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति को जल्दी संभाला जा सके।
बाढ़ से निपटने के लिए एक खास टीम बनाई
राज्य सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए एक खास टीम बनाई है, जिसे तकनीकी बाढ़ संघर्ष दल कहा जाता है। इस टीम का नेतृत्व अनुभव वाले रिटायर्ड इंजीनियर करते हैं। ये टीम बाढ़ के समय तटबंध और दूसरी जरूरी जगहों की सुरक्षा के लिए स्थानीय इंजीनियरों को सलाह देती है। साथ ही नेपाल के साथ भी सरकार ने अच्छा तालमेल बनाया हुआ है। नेपाल के मौसम विभाग से वहां की बारिश और मौसम की जानकारी समय-समय पर बिहार को मिलती रहती है। इससे बिहार में नदियों के पानी के स्तर पर नजर रखी जा सकती है। काठमांडू में बिहार का एक ऑफिस है जो इस काम में दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
बाढ़ की चेतावनी देने वाली व्यवस्था
बिहार में बाढ़ की चेतावनी देने वाली व्यवस्था को और मजबूत कर दिया गया है। अब राज्य की 42 नदियों की स्थिति का 72 घंटे पहले अनुमान लगाया जाता है। यह काम पटना में बने एक खास केंद्र से किया जाता है, जहां कंप्यूटर मॉडल की मदद से बाढ़ का अंदाजा लगाया जाता है। इसके अलावा सैटेलाइट की तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि बाढ़ की स्थिति को अच्छी तरह समझा जा सके। मानसून के समय हर 5 दिन का बारिश का अनुमान भारतीय मौसम विभाग और बिहार मौसम सेवा केंद्र से लिया जाता है। यह जानकारी तुरंत सभी जिलों के अधिकारियों को भेज दी जाती है। 1 जून से एक मदद केंद्र भी शुरू किया जाएगा, जो 24 घंटे लोगों को बाढ़ से जुड़ी जानकारी और सहायता देगा। इस तरह बिहार सरकार ने जल संसाधन विभाग के जरिए बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है ताकि बाढ़ का असर कम हो और लोग सुरक्षित रहें।