बिहार के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है। अब उन्हें अपनी पढ़ाई के साथ-साथ फ्रेंच और जर्मन जैसी विदेशी भाषाएं सीखने का भी मौका मिलेगा। यह खास पहल मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना ‘सात निश्चय – 1’ के अंतर्गत की गई है, जिसका उद्देश्य है युवाओं को रोजगार के नए अवसरों के लिए तैयार करना। फिलहाल यह पायलट प्रोजेक्ट 15 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुरू किया गया है, लेकिन आने वाले समय में इसे राज्य के सभी 38 इंजीनियरिंग कॉलेजों में लागू किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने की योजना की सराहना
इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार सरकार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया। उन्होंने इसे एक बड़ी और दूरदर्शी पहल बताया और कहा कि इससे बिहार के छात्र वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बना सकेंगे। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि आगे चलकर जापानी भाषा को भी इस कोर्स में शामिल किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से साझेदारी कर “स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम” भी शुरू किया जाए ताकि छात्र विदेशों में जाकर पढ़ाई और अनुभव प्राप्त कर सकें।
छात्रों ने दिखाई प्रतिभा
कार्यक्रम के दौरान तकनीकी शिक्षा विभाग की सचिव डॉ. प्रतिमा ने इस योजना की पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे छात्रों को इन भाषाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और इसके लिए आधुनिक भाषा प्रयोगशालाएं तैयार की गई हैं। उद्घाटन के दौरान कई छात्रों ने फ्रेंच और जर्मन भाषा में संवाद भी किया, जिससे यह साफ हुआ कि वे इस पहल से बहुत उत्साहित हैं और तेजी से सीख रहे हैं।
रोजगार और वैश्विक अवसरों के लिए मददगार
इस पहल की चारों तरफ सराहना हो रही है। कॉलेजों के शिक्षक, छात्र और अधिकारी सभी ने इसे एक उपयोगी कदम माना है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि बिहार के तकनीकी छात्र सिर्फ पढ़ाई तक सीमित न रहें, बल्कि दुनिया के किसी भी देश में काम करने के लिए तैयार हों। विदेशी भाषा सीखने से उन्हें विदेशों में पढ़ाई, नौकरी और रिसर्च जैसे अवसरों का लाभ मिलेगा। बिहार सरकार की यह नई सोच न केवल छात्रों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि राज्य को तकनीकी और वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगी।