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बिहार में कस्टम कैडर के IRS अधिकारी पर बड़ा एक्शन, CBI ने कसा शिकंजा

Bihar News: बिहार के पटना में कार्यरत तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर (सीमा शुल्क) के खिलाफ CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी GST रिफंड घोटाले में छापेमारी की है। यह मामला लगभग 100 करोड़ रुपये के फर्जी एक्सपोर्ट बिलों से जुड़ा है। पढ़ें अमिताभ कुमार ओझा की रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Md Junaid Akhtar Updated: Jun 21, 2025 23:59
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बिहार में IRS अधिकारी पर बड़ा एक्शन

Bihar News: बिहार के पटना में कार्यरत तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर (सीमा शुल्क) के खिलाफ CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी GST रिफंड घोटाले में छापेमारी की है। यह मामला लगभग 100 करोड़ रुपये के फर्जी एक्सपोर्ट बिलों से जुड़ा है। CBI ने इस मामले को लेकर शनिवार को पटना, पूर्णिया, जमशेदपुर, नालंदा और मुंगेर समेत बिहार-झारखंड के 7 ठिकानों पर छापेमारी की। बताया जा रहा है कि मामले में तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर, कस्टम्स पटना, जयनगर और भिमनगर LCS में तैनात पूर्व अधीक्षक, निजी फर्मों के प्रतिनिधि और कुल 29 अन्य व्यक्ति आरोपी बनाये गए है। CBI ने सोने की सात ईंटें (100 ग्राम प्रत्येक), मोबाइल फोन, डिजिटल सबूत और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं।

क्या है पूरा मामला?

CBI की FIR के मुताबिक, अधिकारियों ने टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के फर्जी निर्यात दिखाकर GST रिफंड और टैक्स छूट का झूठा दावा किया। यह पूरा खेल 23 फर्जी आयात और निर्यातक कंपनियों के जरिए किया गया। अफसरों ने पद का दुरुपयोग करते हुए घोटाले को मंजूरी दी, जिसमें रिश्वत या अन्य निजी लाभ लेने की आशंका जताई गई है। CBI के मुताबिक, अधिकारियों ने लगभग 800 करोड़ रुपये का फर्जी निर्यात दिखाया, जिनमें 28% और 18% जीएसटी स्लैब वाले सामान शामिल थे। इसके जरिए करीब 100 करोड़ रुपये का फर्जी रिफंड प्राप्त किया गया।

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अब तक नहीं की गिरफ्तारी की पुष्टि

CBI ने इस घोटाले में अब तक किसी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है। लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और नाम सामने आ सकते हैं और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। वहीं, इस मामले में 100-100 ग्राम के 7 गोल्ड बार, मोबाइल फोन, डिजिटल डाटा संवेदनशील और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं।

क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह को भी मुख्य साजिशकर्ता

सीबीआई की एफआईआर में आरोप है कि जयनगर के कस्टम अधीक्षक नीरज कुमार और मनमोहन शर्मा, भीमनगर के तरुण कुमार सिन्हा और राजीव रंजन सिन्हा, तथा अतिरिक्त आयुक्त रणविजय कुमार इस घोटाले में सीधे शामिल थे। आरोप है कि इन अधिकारियों ने रिश्वत के बदले फर्जी बिलों को मंजूरी दी, जिससे निर्यातकों को जीएसटी रिफंड में भारी लाभ हुआ। FIR में कोलकाता स्थित क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह को भी मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामजद किया गया है।

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जांच के दौरान हुआ बड़ा खुलासा

सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2022-23 के दौरान जयनगर, भीमनगर और भिट्टामोर के लैंड कस्टम स्टेशन (LCS) से नेपाल को टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के निर्यात में असामान्य वृद्धि देखी गई। यह गतिविधि सामान्य निर्यात प्रवृत्ति से मेल नहीं खा रही थी, जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ और बाद में विस्तृत जांच शुरू की गई। CBI की प्राथमिक जांच के अनुसार, करीब 30 निर्यातकों ने इन तीन सीमाई कस्टम स्टेशनों से फर्जी निर्यात दिखाकर जीएसटी रिफंड हासिल किया। इन निर्यातकों ने कथित रूप से 10 लाख रुपये से कम मूल्य के निर्यात बिल पेश किए, ताकि कस्टम अधीक्षकों को बिना उच्च स्तर की स्वीकृति के उन्हें क्लियर करने का अधिकार मिल सके।

First published on: Jun 21, 2025 11:50 PM

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