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दो बार किडनी हुईं फेल, फिर ये शख्स कैसे बन गया बैडमिंटन चैंपियन?

Dharmendra Kumar Soti Badminton Champion: कहते हैं दिल में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। 50 साल के धर्मेंद्र कुमार सोती ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। दो किडनी ट्रांसप्लांट के बावजूद लखनऊ के धर्मेंद्र कुमार को न केवल तीसरी जिंदगी मिली है, बल्कि उन्होंने बैडमिंटन […]

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Aug 14, 2023 21:33
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Dharmendra Kumar Soti Badminton Champion
Dharmendra Kumar Soti Badminton Champion

Dharmendra Kumar Soti Badminton Champion: कहते हैं दिल में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। 50 साल के धर्मेंद्र कुमार सोती ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। दो किडनी ट्रांसप्लांट के बावजूद लखनऊ के धर्मेंद्र कुमार को न केवल तीसरी जिंदगी मिली है, बल्कि उन्होंने बैडमिंटन चैंपियन बनने का भी सपना पूरा किया है। सोती ने हाल ही में वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स-2023 में स्वर्ण पदक जीता है। यह यूके स्थित नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स फेडरेशन द्वारा हर दो साल में आयोजित स्पोर्ट्स ईवेंट है।

अपने लिए जो सीमाएं तय कीं, उन्हें तोड़ दिया 

सोती ने इस जीत के बाद कहा- मुझे आज भी वह दिन अच्छी तरह याद है जब मैं पहली बार विदेश जा रहा था। हालांकि मेरे सभी टेस्ट पूरे हो चुके थे, फिर भी मैंने डॉक्टर से पूछा कि क्या लंबी दूरी की फ्लाइट लेना ठीक रहेगा। जब मैं वहां पहुंचा और ट्रांसप्लांट करवा चुके लोगों से मिला तो मुझे भरोसा हो गया कि मैंने अपने लिए जो सीमाएं तय की थीं, उन्हें तोड़ दिया है। सोती अब अंग दान के बारे में बात करने के लिए टॉक शो, रैलियों और हॉस्पिटल ईवेंट्स में भाग लेते हैं।

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नारकोटिक्स विभाग में हैं तैनात

सोती फिलहाल लखनऊ में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स विभाग में अधीक्षक के पद पर तैनात हैं। इससे पहले उन्होंने सीनियर नेशनल टीम में कप्तान के रूप में यूपी टीम का नेतृत्व किया था। उन्होंने कई बड़े टूर्नामेंटों में राज्य स्तर का प्रतिनिधित्व किया और उसके बाद उन्हें खेल कोटा के जरिए नारकोटिक्स विभाग में नौकरी मिल गई। वह नारकोटिक्स विभाग के लिए भी खेल चुके हैं।

भाई ने दान की किडनी 

साल 2000 तक उनकी जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी, लेकिन 2001 में वह अचानक बीमार पड़ गए और उनकी दोनों किडनी खराब हो गईं। इसके बाद उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट से गुजरना पड़ा। सोती ने खुलासा कर कहा कि भाई अवधेश कुमार सोती ने उनके लिए किडनी दान की है।

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उन्होंने आगे कहा- मुझे चिंता रहती थी कि अब मैं कैसे खेलूंगा। मैं रोजाना स्टेडियम जाता और लोगों को खेलते हुए देखता। फिर कुछ समय तक मैं निराश रहा। हमेशा लगता था कि काश मैं फिर से खेल पाता। सोती का कहना है कि 2001 में उनका ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों ने उन्हें 2012 में होने वाले वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स के बारे में बताया था। फिर मैंने केडी सिंह बाबू स्टेडियम में अपना अभ्यास शुरू किया।

ये जीते मेडल 

इसके बाद साउथ अफ्रीका में वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में मेंस डबल कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीत लिया। उन्होंने 2015 में अर्जेंटीना में आयोजित हुए मेंस डबल में गोल्ड और मेंस सिंगल्स में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद 2017 में स्पेन में मेंस सिंगल्स में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था।

वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स के दौरान फिर हुई समस्या 

उन्होंने आगे कहा- जब मैं 2019 वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स की तैयारी कर रहा था तब अचानक समस्या फिर से शुरू हो गई। फिर मुझे दूसरा ट्रांसप्लांट कराना पड़ा। इस बार मेरे जीजा नितिन द्विवेदी ने किडनी दान की। खुशकिस्मती से मेरा दूसरा ट्रांसप्लांट भी सफल रहा। बाद में मैंने इस साल पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में हुए मेंस सिंग्ल्स में गोल्ड मेडल जीत लिया। सोती का कहना है कि हर किसी को अंगदान करना चाहिए। लोगों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए जैसे मेरे भाई मेरे लिए आगे आए थे। उन्हें देखकर मेरे ससुराल वाले भी आगे आए।

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Written By

Pushpendra Sharma

First published on: Aug 14, 2023 04:40 PM

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