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Science News: टार्डिग्रेड एक ऐसा जीव, जो अमर है; 1773 में हुई थी इसकी खोज

डॉ. आशीष कुमार। टार्डिग्रेड (Tardigrade) को पानी के भालू के नाम से जाना जाता है। यह आठ पैरों वाला जीव होता है। इसमें जीवन जीने की अत्यधिक कुशलता पायी जाती है। यह विषम परिस्थितियों में भी हजारों वर्षों तक जीवित रह सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि टार्डिग्रेड अत्यधिक ठंडे और अत्यधिक गर्म […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Apr 10, 2023 15:05
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डॉ. आशीष कुमार। टार्डिग्रेड (Tardigrade) को पानी के भालू के नाम से जाना जाता है। यह आठ पैरों वाला जीव होता है। इसमें जीवन जीने की अत्यधिक कुशलता पायी जाती है। यह विषम परिस्थितियों में भी हजारों वर्षों तक जीवित रह सकता है।

अध्ययनों से पता चला है कि टार्डिग्रेड अत्यधिक ठंडे और अत्यधिक गर्म वातारण में भी रह सकता है। यह खोलते पानी, जमी हुई वर्फ, ठंडे निर्वातयुक्त अंतरिक्ष में स्वयं को जीवित रख सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी एस्टेरायड के टकराने, अंतरिक्ष में सुपरनोवा के विस्फोट और गामा विकिरण जैसी बड़ी घटनाओं के बाद भी इसके जीवित रहने की संभावना है। ये समुद्र की सबसे गहरी जगह ‘मैरियाना ट्रेंच’ की सतह पर पड़ने वाले दबाव से छह गुना अधिक दबाव को भी सहन कर सकते हैं।

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टार्डिग्रेड पृथ्वी पर जीवित सबसे पुराना जीव है। एस्टेरायड के टकराने के कारण धरती से डायनसोर का खात्मा हो गया था, लेकिन उन परिस्थितियों में स्वयं को जिंदा रखने में कामयाब होने वाले जीवों में टार्डिग्रेड प्रमुख है। यह अत्यधिक सूक्ष्म जीव है, इसे देखने के लिए माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होती है। सौ गुना या अधिक क्षमता की सूक्ष्मदर्शी से ही इसे देखा जा सकता है।

इजराइल की अंतरिक्ष एजेंसी ने वर्ष 2019 में बेरेशीट अंतरिक्षयान को चंद्रमा की सतह पर उतरने का प्रयास किया था। लेकिन लैंडर के चंद्रमा की सतह पर टकराने के कारण अभियान सफल नहीं हो पाया। इस अभियान का महत्वपूर्ण पक्ष यह भी था कि लैंडर के साथ टार्डिग्रेड जीवों को चंद्रमा पर भेजा गया था।

वैज्ञानिकों का दावा है कि ये जीव चंद्रमा के मौसम की विषम परिस्थितियों में भी स्वयं को जीवित रखने में सक्षम है। इस जीव पर घातक पराबैंगनी किरणों का भी कोई असर नहीं होता है। इस जीव में ‘पैरामैक्रोबियोटस’ नाम का जीन पाया जाता है, जो इसकी पैराबैंगनी किरणों से रक्षा करने लिए कवच का निर्माण करता है। वहीं, सामान्य तौर सूक्ष्म जीव पराबैंगनी किरणों के प्रकाश में आते ही मर जाते हैं।

टार्डिग्रेड की खोज 1773 में जर्मनी के जोहान अगस्त एफ्राइम गोएज ने की थी। टार्डिग्रेड की अधिकतम लंबाई आधा मिलीमीटर ही हो सकती है। ये जीव कहीं भी पाए जा सकते हैं, पानी के गिलास या हवा में तैरते हुए।

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टार्डिग्रेड के शरीर में चार खंड होते हैं। इसका जन्म अंडों से होता है जोकि टार्डिग्रेड के पेट में ही रहते हैं। अंडों की हैचिंग टार्डिग्रेड के पेट में ही होती है। टार्डिग्रेड सामान्यतः तरल पदार्थों का सेवन करते हैं। ये बिना खाये-पीये हजारों वर्षों तक जिंदा रह सकते हैं।

(लेखक ‘इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज’ (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

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Written By

News24 हिंदी

Edited By

Manish Shukla

First published on: Apr 09, 2023 11:30 AM

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