Science News: क्या आप विश्वास करेंगे कि पानी की बहुत बारीक धार से भी बड़ी़-बड़ी चट्टानें और स्टील के मोटे पिलर काटे जा सकते हैं। जी हां, अब ऐसा होता है और बहुत सी इंडस्ट्रीज में पानी के जरिए ग्रेनाइट की चट्टानें, स्टील, लोहा और एल्युमिनियम के स्लैब्स को बहुत कम समय में काटा जा रहा है। आइए जानते हैं कि यह टेक्नीक क्या है और कैसे काम करती है।
पहले पेपर जैसी सॉफ्ट चीजें काटने के होती था प्रयोग
काफी पहले से हम देखते रहे हैं कि पानी नहर या नदी के किनारों को काटता हुआ चलता है। पानी की रफ्तार जितनी तेज होगी, उतना ही ज्यादा जल्दी किनारों का कटाव होगा। इसी विचार पर काम करते हुए 1930 में Paper Patents Company ने एक मशीन बनाई जो पानी की तेज धार के जरिए पेपर के बंडल काटती थी। इस मशीन के जरिए सॉफ्ट चीजें जैसे लकड़ी, रबर, पेपर आदि काटे जाते थे।
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अब कई फीट मोटा स्टील भी काट सकते हैं
वर्ष 1956 में रिसर्चर्स ने एक नए विचार पर काम करते हुए पाया कि यदि पानी की इस धार में अब्रेजिव यानि बहुत महीन बारीक टुकड़े (पत्थर या किसी अन्य हार्ड चीज के) मिला दिए जाए तो इससे कठोर चीजें भी काटी जा सकेंगी। इसे बाद में इसी आइडिया (Science News) में एक और परिवर्तन करते हुए पानी का प्रेशर भी बढ़ाकर 100,000 psi (690 MPa) कर दिया गया। इसके बाद देखा गया कि अब पानी के जरिए बड़े पत्थरों और लोहे की मोटी चद्दरों को भी काटा जा सकता है।
धीरे-धीरे इस टेक्नोलॉजी को विकसित करते हुए इस लेवल पर लाया गया कि आज यह ग्रेनाइट की एक मीटर से मोटी चट्टान को भी मक्खन की तरह काट सकता है। अब्रेसिव के रूप में वर्तमान में अलग-अलग चीजों का प्रयोग किया जाता है। जब स्टील या ग्रेनाइट जैसी कठोर चीजें काटनी होती है तो उसमें माणिक्य का बुरादा मिलाया जाता है। इसके बाद कई फीट मोटी चट्टानें और धातुओं की स्लैब्स को आसानी से काटा जा सकता है।