Trendingind vs saIPL 2025Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

क्या आपने भी सुनी हैं मृतकों से जुड़ी आवाजें, पता लगाने के लिए वैज्ञानिक ने खोज लिया तरीका?

Hallucinations: न्यूरोसाइंटिस्ट पावो ओरेपिक एक रोबोटिक सिद्धांत को तैयार करने का दावा कर रहे हैं जो इस वैज्ञानिक पहेली को हल कर सकता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)
क्या आपने भी अपने किसी परिजन की मौत के बाद उसकी आवाज सुनी है। कई लोग ऐसा कहते पाए जाते हैं कि उन्होंने कभी न कभी अपने परिवार के सदस्यों की या उनके जैसी आवाज सुनी है जिनकी मौत हो चुकी है। इसके बाद कई लोग कई तरह की अटकलें लगाने लगते हैं। कुछ लोग इसे भूत-प्रेत से जोड़कर देखते हैं और डर भी जाते हैं। यह रहस्य अभी तक अनसुलझा ही है। सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे क्या वजह है। उम्मीद है कि इसे जल्द ही समझा जा सकेगा। अंग्रेजी न्यूज़ वेबसाइट WION के मुताबिक वैज्ञानिकों ने अब इसे समझने के लिए रोबोटिक तकनीक विकसित कर ली है। यानी कि अब यह पता चल जाएगा कि लोग अपने परिवार के मृतकों की आवाज क्यों सुनते हैं। अध्ययनों के मुताबिक स्वस्थ लोगों सहित सभी लोगों में से पांच से दस प्रतिशत लोग अपने मृतकों से संबंधित आवाजें सुनते हैं। वैज्ञानिकों को पता नहीं है कि जब लोग ये ऑडिटरी या श्रवण मतिभ्रम सुनते हैं तो मस्तिष्क में क्या होता है। अब स्विटजरलैंड में जिनेवा विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट पावो ओरेपिक ने इसे लेकर बड़ा दावा किया है। ये भी पढ़ें-DeepFake: पीएम मोदी भी नहीं पहचान पाए अपना हमशक्ल, फर्जी नहीं था गरबा डांस वाला वीडियो? शख्स ने खुद बताया दावा किया वैज्ञानिक ने ओरेपिक एक रोबोटिक सिद्धांत को तैयार करने का दावा कर रहे हैं जो इस वैज्ञानिक पहेली को हल कर सकता है। आमतौर पर माना जाता है कि ऐसी आवाजें सिर्फ वे ही लोग सुनते हैं जिन्हें कोई मनोरोग होता है। अध्ययनों में पता चला है कि सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित 70 प्रतिशत लोग आमतौर पर ऐसी आवाजें सुनते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मतिभ्रम तब होता है जब किसी व्यक्ति की संवेदी छापें (sensory impressions) उसके मस्तिष्क की अपेक्षाओं से मेल नहीं खातीं। कैसे किया गया प्रयोग न्यूरोसाइंटिस्ट पावो ओरेपिक ने अब एक प्रयोग डिजाइन किया है जो उपरोक्त दो तंत्रों को एक साथ ट्रिगर कर सकता है। प्रयोग के एक भाग के रूप में कुछ लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर अपने सामने एक लीवर दबाने के लिए कहा गया। जैसे ही उन्होंने ऐसा किया एक रोबोटिक हाथ ने उनकी पीठ को छुआ। थोड़े अभ्यास से उनके मस्तिष्क को यह एहसास होने लगा कि यह उनका अपना हाथ था जो उनकी पीठ को छू रहा था। कुछ अभ्यास के बाद प्रयोग में थोड़ा बदलाव आया। अब जैसे ही उन लोगों ने लीवर को छुआ, थोड़ी देरी के बाद रोबोटिक हाथ ने उन्हें छू लिया। इससे दिमाग को लगा कि वहां कोई और भी मौजूद है। क्या होता है मतिभ्रम रिपोर्ट्स के मुताबिक काफी लोग यह मानते हैं कि मतिभ्रम (हलुसिनेशन) उनको ही होता है जिन्हें कोई मानसिक बीमारी होती है। पुराने जमाने में इसे सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व से जोड़कर देखा जाता था। यह बाईपॉलर डिसऑर्डर और अवसाद की वजह से भी हो सकता है। अच्छी नींद नहीं लेना भी इसकी वजह हो सकती है। कई मामलों में मतिभ्रम डरावना भी हो सकता है। हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता। ये भी पढ़ें-मुजीबुर रहमान के हत्यारे को कनाडा में मिली है पनाह? अब शेख हसीना सरकार ने उठाया बड़ा कदम


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.