धरती को सूरज की गर्मी से बचाएगी विशाल छतरी, पूरी धरती का मौसम भी कंट्रोल किया जा सकेगा
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Astronomy: ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण तथा सौर तूफान जैसी चीजों के चलते पृथ्वी लगातार तेजी से गर्म हो रही है। ऐसे में दुनिया भर के वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए अलग-अलग उपाय सुझा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के एक खगोलशास्त्री इस्तवान सजापुडी ने पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश को कम करने के लिए एक सूरज की रोशनी को ढकने वाली छतरी बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उन्होंने एक क्षुद्रग्रह (बड़े आकार वाले उल्कापिंड) का उपयोग करने की सलाह दी है।
क्या है पूरा आईडिया
सजापुडी के अनुसार पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा को कम करने के लिए एक सौर छतरी का प्रयोग किया जा सकता है जो एक कैद किए गए क्षुद्रग्रह के साथ मिलकर एक काउंटरवेट के रूप में काम करेगी। यदि सब कुछ सही रहा तो इस विचार को अमली जामा पहनाने की जल्द शुरूआत हो सकती है। इसमें है। माना जा रहा है कि इस आईडिया पर काम करके हम आने वाले दशकों में पृथ्वी पर जलवायु पर नियंत्रण कर सकेंगे तथा ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की दिशा में सही कदम उठा सकेंगे।
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इस तरह करेगा काम
वैज्ञानिकों (Astronomy) के अनुसार यदि किसी तरह सूर्य की रोशनी और ऊर्जा को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक दिया जाए तो ग्लोबल वार्मिंग को काफी हद तक रोका जा सकता है। इसके लिए एक सौर ढाल बनाने की आवश्यकता होगी लेकिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को नियंत्रण करने और सौर विकिरणों के दबाव को कम करने से रोकने के लिए आवश्यक संसाधनों को जुटाने में बहुत अधिक श्रम और संसाधन चाहिए होंगे।
सजापुडी द्वारा दिए गए इस सुझाव में सबसे बड़ी सकारात्मक बात यही है कि इसके लिए हमें पृथ्वी से संसाधन ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि एक क्षुद्रग्रह को पृथ्वी की कक्षा में इस प्रकार स्थापित करना होगा कि वह धरती के गुरुत्वाकर्षण बल से बंधकर सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थाई रूप से टिक जाएं। इस प्रकार सूर्य से आने वाली ऊर्जा और रोशनी को रोका जा सकेगा। इसके साथ ही सूर्य की हानिकारक किरणों से होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकेगा।
वर्तमान तकनीक से ऐसा करना संभव नहीं होगा
वैज्ञानिकों के इस सुझाव को अमलीजामा पहनाने के लिए 99 फीसदी वजन क्षुद्रग्रह का होगा जबकि सौर छतरी का बाकी एक फीसदी भाग जो कि लगभग 35,000 टन होगा को पृथ्वी से क्षुद्रग्रह तक ले जाना होगा। वर्तमान में मानव सभ्यता के पास मौजूद सबसे बड़ा रॉकेट अधिकतम 50 टन वजन ही उठा सकते हैं। ऐसे में इस सुझाव को वास्तविकता में बदलने में समय लग सकता है।
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