आज के समय में जब भी किसी लड़के-लड़की की शादी होती है तो वो प्यार जताने के लिए एक साथ एक ही थाली में खाते हैं। ऐसे जोड़े को लगता है कि साथ में खाने से उनका रिश्ता मजबूत रहेगा, लेकिन धर्मशास्त्रों का मानना है कि पति-पत्नी को एक थाली में कभी नहीं खाना चाहिए। धर्मशास्त्रों मे इसका क्या कारण बताया गया है आइए जानते हैं।
पति-पत्नी के एक ही थाली में खाने से क्या होता है?
महाभारत युद्ध के बाद एक दिन द्रौपदी के साथ सभी पांडव भीष्म पितामह से मिलने गए। कुरुक्षेत्र में बाणों की शैय्या पर लेटे हुए पितामह से युधिष्ठिर ने सुखी दांपत्य जीवन के बारे में ज्ञान देने को कहा। तब भीष्म पितामह ने कहा पति-पत्नी को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह किसी भी परिस्थिति में एक ही थाली में भोजन न करें।
अगर कोई पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं तो परिवार पर विपदा आनी निश्चित है, लेकिन अगर घर में कोई भी बुजुर्ग नहीं है तो पति-पत्नी साथ में बैठकर भोजन कर सकते हैं। महाभारत मे यह स्पष्ट बताया गया है कि साथ में भोजन करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। हालांकि ऐसा करने से केवल पति-और पत्नी के बीच ही प्रेम रह जाता है और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ इनकी दूरी बढ़ने लगती है। कहने का अर्थ यह है कि पति-पत्नी का रिश्ता तो मजबूत हो जाता है लेकिन परिवार के सदस्यों के साथ अलगाव बढ़ने लगता है।
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वहीं ज्योतिष शास्त्र में इसका कारण ग्रहों का पड़ने वाला प्रभाव बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पति-पत्नी के एक ही थाली में खाना खाने से उनके दांपत्य जीवन पर राहु का दुष्प्रभाव पड़ने लगता है। राहु के दुष्प्रभाव के कारण दांपत्य जीवन की शांति भंग होने लगती है। राहु के दुष्प्रभाव के कारण पति-पत्नी का रिश्ता भी खत्म हो सकता है।
इसके अलावा शस्त्रों मे बताया गया है कि महिलाओं को कभी अपने पति को जूठा भोजन नहीं कराना चाहिए क्योंकि सनातन धर्म में पतियों को विष्णु जी के तुल्य माना गया है । ऐसा माना जाता है कि पति के साथ एक ही थाली मे खाने से देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है और ऐसे जोड़े को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।