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Religion

भगवान विष्णु की छाती पर भृगु ऋषि ने किया था प्रहार, नारायण ने पकड़ लिए थे चरण!

हिंदू धर्म के महान ऋषि भृगु एक बार तीनों देवों की परीक्षा लेने गए थे। जिस दौरान उन्होंने भगवान श्रीहरि विष्णु की छाती पर प्रहार कर दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने उन ऋषि के चरण पकड़ लिए थे।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Apr 8, 2025 23:12
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भागवत और विष्णु पुराण के अनुसार एक बार देवताओं और ऋषि-मुनियों में बहस छिड़ गई कि तीनों देवों में कौन सर्वश्रेष्ठ है। इस बहस का जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो इस बात का जिम्मा ऋषि भृगु को सौंपा गया कि वे ये पता करके बताएं कि तीनों देवों में सर्वश्रेष्ठ कौन हैं।

इसके लिए ऋषि भृगु ने एक योजना बनाई और उन्होंने एक-एक करके तीनों देवों के पास जाने का सोचा। इसमें सबसे पहले वे ब्रह्मा और फिर भगवान शंकर के यहां पहुंचे। सबसे अंत में वे भगवान श्रीहरि विष्णु के पास पहुंचे।

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भगवान ब्रह्मा और शंकर की ली परीक्षा

ऋषि भृगु सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और शंकर के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ऋषि भृगु के पिता हैं, लेकिन उन्होंने जानबूझकर उनको प्रणाम नहीं किया। यह देख सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा को क्रोध आ गया है, लेकिन भृगु उनके पुत्र थे, इस कारण उन्होंने अपने क्रोध को मन में ही दबा लिया।

शंकर से मिलने पहुंचे भृगु

भगवान शंकर की पत्नी देवी सती और ऋषि भृगु की पत्नी ख्याति दोनों बहनें थीं। इस कारण भगवान शंकर ऋषि भृगु के साढ़ू थे। इसके चलते भगवान शंकर ने उन्हें गले लगाना चाहा, लेकिन ऋषि भृगु ने यह कहकर उन्हें मना कर दिया कि इस प्रकार का व्यवहार उनको शोभा नहीं देता है। इस पर शंकर भगवान को क्रोध आ गया, लेकिन तभी सती उनके सामने आ गईं, जिससे भगवान शंकर का क्रोध शांत हो गया।

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भगवान विष्णु की हुई परीक्षा

भगवान श्रीहरिविष्णु की परीक्षा लेने ऋषि भृगु क्षीर सागर में पहुंचे। जहां भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर विश्राम कर रहे थे। भृगु ने देखा कि भगवान विष्णु ने उनका स्वागत नहीं किया। इस पर उन्होंने भगवान विष्णु की छाती पर प्रहार कर दिया। यह देख माता लक्ष्मी को बहुत अपमान महसूस हुआ, क्योंकि ऋषि भृगु उनके पिता थे तो वे कुछ भी न कह सकीं।

भगवान विष्णु ने पकड़े चरण!

भगवान विष्णु ने ऋषि के चरण पकड़ लिए और बोले हे ऋषिवर! मुझ कठोर पर प्रहार करने से आपके कमल रूपी चरणों में चोट तो नहीं आ गई है? भगवान विष्णु की विनम्रता देख ऋषि भृगु प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को तीनों देवों में सर्वश्रेष्ठ बताया। यह कथा भागवत पुराण के स्कंध 10 अध्याय 89 और विष्णु पुराण में देखने को मिलती है।

कौन थे ऋषि भृगु?

ऋषि भृगु भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। इनको सप्तर्षि मंडल में स्थान मिला है। इनकी शादी ख्याति से हुई थी, जो महाराज दक्ष की पुत्री और सती की बहन थीं। इस प्रकार महर्षि भृगु भगवान शिव के साढू थे। इसके साथ ही वे भगवान विष्णु के ससुर थे। उन्होंने अपनी पुत्री लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से किया था। उन्होंने भृगु संहिता और ऋग्वेद के मंत्रों की रचना की थी।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Mohit Tiwari

First published on: Apr 08, 2025 10:43 PM

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