Ramayana Story: रामायण के प्रसंगों से पता चलता है रावण एक कुशल योद्धा और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र और वास्तुकला का महान जानकार था। लेकिन महाकाव्य रामायण में वर्णित लंका के राजा रावण को अक्सर एक दुष्ट, अहंकारी और अत्याचारी पात्र के रूप में चित्रित किया जाता है, जो एक अधूरी कहानी है। आइए जानते हैं, लंकेश रावण से जुड़ी कुछ रोचक और अनूठी बातें, जो आपको चौंका देगी।
प्रकांड विद्वान था रावण
रावण ने शक्ति और ज्ञान दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय उपलब्धियां हासिल की थीं। वे चारों वेदों के ज्ञाता थे। कहते हैं कि उसे दुनिया की लगभग सभी शास्त्रों का गहरा ज्ञान था। भौतिक रूप से रावण के 10 सिर थे कि नहीं इसका ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन उसके एक नाम ‘दशानन’ का अर्थ यही है। विद्वानों के अनुसार, दशानन का एक तात्पर्य यह है कि रावण किसी बात या काम को 10 तरीके सोच और कर सकता था। संभवतः यही कारण है कि उसे 10 सिर वाला शक्तिशाली, परम ज्ञानी, बुद्धिमान और प्रकांड विद्वान कहा गया है।
कहते हैं, रावण भगवान शिव का परम भक्त था। उसने शिवजी की तपस्या कर कई शक्तियां हासिल की थी। माना जाता है कि परम ज्ञान के साथ परम शक्ति किसी को भी अहंकारी बना सकती है और रावण को इसका बेस्ट उदाहरण माना जा सकता है।
रावण क्यों सोता था अकेले?
क्या आप जानते हैं कि लंकापति रावण अकेला सोता था? जी हां, यह सही है। रावण अपने महल में अकेले सोता था। सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जो रावण अकेला सोता था? रामायण के एक प्रसंग के अनुसार, जब भगवान हनुमान, समुद्र लांघ कर लंका पहुंचे तो वे सबसे पहले रावण के महल में गए थे।
जब हनुमान जी ने महल में रावण के कक्ष में प्रवेश किया तो देखा कि रावण अपने कक्ष में अकेला सो रहा था। उसके आस-पास कोई नहीं था। रावण की पत्नी मंदोदरी भी नहीं। अंगरक्षक भी केवल मुख्य द्वार के पास थे। यह देख हनुमान जी एक बार सोच में पड़ गए, लेकिन अगले ही पल वे मारुतिनंदन मुस्कुरा उठे। उन्होंने पाया कि रावण बहुत तेज खर्राटे ले रहा था, जिसकी आवाज वाकई में असहनीय थी। यही कारण है कि उसके साथ कोई नहीं सोता था, पत्नी भी नहीं।
मरते समय भगवान राम से कही थी ये बात
रावण को रिश्ते-नाते और दुनियादारी का पूरा ज्ञान भी था, लेकिन वह महान अहंकारी था। रावण अपने अहंकार के सामने यह भी भूल गया कि वह जिस देवी सीता का हरण कर रहा है वह कौन है? इसका रावण को परिणाम भी भुगतना पड़ा। उसके अहंकार के कारण ही उसके प्राण गए थे। लेकिन वह एक विद्वान था। उसने मरने से पहले भगवान राम से कुछ बातें कही थीं, जो आज सभी लोगों के लिए एक महान सीख है।
रावण ने भगवान श्रीराम से कहा था, “हे राम! मैं शक्ति में आपसे कहीं भी पीछे नहीं हूं और हर क्षेत्र में आपसे आगे ही हूं। लेकिन फिर भी मैं इस युद्ध में तुमसे हार गया, जिसकी एक ही वजह है कि मेरे पास आपके लक्ष्मण जैसा भाई नहीं था। उसने भगवान राम से कहा कि बुरे समय में भाई का साथ देने वाला ही सच्चा भाई होता है।”
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।