Maa Mundeshwari Temple, Bihar (अजय कुमार सिंह): शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर 2024 से हो गया है। इस दौरान माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। साथ ही मंदिरों में भी मां के दर्शन करने के लिए अच्छी-खासी भीड़ भक्तों की देखने को मिलती है। मां दुर्गा के कई ऐसे रहस्यमयी मंदिर हैं, जो देश ही नहीं विदेश में भी काफी प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही मां मुंडेश्वरी मंदिर का एक अनोखा मंदिर बिहार में स्थित है, जो देश-विदेश में प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं इसी मंदिर से जुड़े अनसुने रहस्यों के बारे में।
600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मंदिर
बिहार के कैमूर जिला की घनी पहाड़ियों में मां मुंडेश्वरी का एक प्राचीन मंदिर 600 फीट की ऊंचाई पर पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए दो रास्ते हैं। सीढ़ियों या घुमावदार सड़क के रास्ते आप मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। खासतौर पर नवरात्रि के मौके पर मंदिर में पैर रखने की जगह नहीं होती है।
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इस मंदिर में दी जाती है रक्तविहीन बलि
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां मुंडेश्वरी मंदिर में माता के चरणों में बकरे की बलि दी जाती है। खास बात ये है कि यहां पर रक्तहीन बलि दी जाती है। यहां बकरे को मारा नहीं जाता है, बल्कि मंत्रों के माध्यम से सबसे पहले बकरे को बेहोश किया जाता है। कुछ देर बाद बकरे पर अक्षत और फूल मारे जाते हैं, जिससे बकरा जाग जाता है।
मां मुंडेश्वरी मंदिर के पुजारी उमेश कुमार मिश्र का कहना है कि इस मंदिर के इतिहास की सही जानकारी आज तक गुम है। किसी को भी मंदिर की इस अनोखी परंपरा के मुख्य कारण के बारे में नहीं पता है।
मां मुंडेश्वरी ने यहां किया था चंड-मुंड का वध
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में चंड और मुंड नामक दो असुर थे, जो लोगों को बेहद प्रताड़ित करते थे। लोगों की पुकार सुन माता मुंडेश्वरी धरती पर आई और उन्होंने सबसे पहले चंड का वध किया। इस बीच मुंड पंवरा पहाड़ी पर छिप गया। लेकिन माता ने मुंड को ढूंढकर उसका भी वध कर दिया। इसी के बाद से ये जगह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।