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Mokshada Ekadashi 2024: 10 या 11 दिसंबर…मोक्षदा एकादशी कब है? जानें सही डेट, महत्व, पूजा विधि और पारण का समय

Mokshada Ekadashi 2024: भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित मोक्षदा एकादशी का हिन्दू धर्म में बेहद खास महत्व है। नाम से ही स्पष्ट है कि इस एकादशी व्रत को रखने से साधकों और भक्तों मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी कब है, 10 या 11 दिसंबर? यदि आपको भी यह कन्फ्यूजन है, तो आइए जानते हैं, मोक्षदा एकादशी की सही डेट, महत्व पूजा विधि और पारण का समय क्या है?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Nov 30, 2024 19:30
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Mokshada-Ekadashi-Benefits

Mokshada Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने दो एकादशी आती हैं, जिसका यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है। इस तरह साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं। एकादशी तिथि को वृद्दि तिथि भी कहते हैं, जिसके अधिपति यानी स्वामी भगवान विष्णु हैं, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। सभी 24 एकादशियों में मार्गशीर्ष यानी अगहन माह की मोक्षदा एकादशी बेहद विशिष्ट है। मोक्षदा एकादशी कब है, 10 या 11 दिसंबर? यदि आपको भी यह कन्फ्यूजन है, तो आइए जानते हैं, मोक्षदा एकादशी की सही डेट, महत्व और पारण का समय क्या है?

10 या 11 दिसंबर…मोक्षदा एकादशी कब है?

सनातन पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि की शरूआत 11 दिसंबर की रात में ब्रह्म मुहूर्त में 3 बजकर 42 मिनट पर होगी और इस फलदायी तिथि का समापन 12 दिसंबर 2024 को देर रात 1 बजकर 9 मिनट पर होगा। उदायतिथि नियम के आधार पर इस बार मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर को मनाई जाएगी। ये वो खास दिन है जब भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में अद्भुत बदलाव आते हैं। इस व्रत से न केवल साधक बल्कि पूर्वजों को भी मोक्ष मिलता है। संतान प्राप्ति का सौभाग्य मिलता है। जीवन में चल रहे सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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मोक्षदा एकादशी एकादशी का महत्व

हिन्दू धर्म का अंतिम और सबसे बड़ा लक्ष्य है मोक्ष की प्राप्ति, ताकि ‘भव बाधा’ यानी इस दुनिया में बार-बार जन्म लेने से मुक्ति पा सकें। मोक्षदा एकादशी इस उद्देश्य में सफल होने का एक उपयुक्त सुअवसर प्रदान करता है। मान्यता है कि इस एकादशी व्रत को रखने से साधक और भक्त भव सागर को पार करने में सफल होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन यदि कोई साधक सच्चे मन से श्री हरि की पूजा और विशेष उपाय करता है, तो उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है। माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर धन, संपत्ति और सौभाग्य में वृद्धि करती हैं।

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मोक्षदा एकादशी पारण टाइम

एकादशी व्रत और पूजा में जितना महत्व व्रत, उपवास और पूजा का है, उतना ही महत्व पारण का है। मान्यता है एकादशी का पारण दिए गए निश्चित मुहूर्त में करने से व्रत सम्पूर्ण होता है और व्रत का पूरा फल मिलता है। सनातन पंचांग के अनुसार, साल 2024 की मोक्षदा एकादशी का व्रत तोड़ने का समय यानी पारण टाइम सुबह 7 बजकर 5 मिनट से लेकर 9 बजकर 9 मिनट तक है। बात दें कि मोक्षदा एकादशी पारण तिथि के दिन द्वादशी रात में 10 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।

मोक्षदा एकादशी 2024 पूजा विधि

  • मोक्षदा एकादशी तिथि के दिन प्रातःकाल में स्नान कर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। पीला, लाल या सफेद रंग के वस्त्र अधिक उपयुक्त होते हैं।
  • एकादशी पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय संध्या काल में होता है। पूजा के लिए सबसे पहले पूजा की चौकी पर भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप को लाल या पीले आसन पर प्रतिष्ठित करें।
  • पूजा की चौकी को केले के स्तंभ या पत्तों से सजाना उत्तम माना गया है।
  • इसके बाद दीप प्रज्वलित करें, भगवान विष्णु को पुष्प, पान, सुपारी, तुलसी दल (अवश्य रूप से), नैवेद्य, मिष्टान्न अर्पित करें।
  • फिर धूप से सुगंधि दें और भोग अर्पित करें और मोक्षदा एकादशी और सत्यनारायण व्रत की कथा सुनें।
  • पूजा के अंत में श्री हरि सत्यनारायण की आरती उतारें और सपरिवार उनकी वंदना करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Shyam Nandan

First published on: Nov 30, 2024 07:30 PM

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