गुजरात में यहां हुई थी भगवान कृष्ण की मृत्यु
महाकाव्य महाभारत के 16वें पर्व (अध्याय) मौसुल पर्व में संपूर्ण यादव वंश के विनाश के साथ-साथ भगवान बलराम और श्रीकृष्ण के परमधाम-गमन की कथा वर्णित है। महाभारत युद्ध के लगभग 36 सालों के बाद भगवान कृष्ण ने इस संसार से प्रस्थान किया था। कहते हैं, जब उनकी मृत्यु हुई तब उनकी आयु 125 वर्ष 8 महीने और 7 दिन थी। महाकाव्य के अनुसार श्रीकृष्ण की मृत्यु एक तीर से हुई थी। जहां भगवान कृष्ण की मृत्यु हुई थी, उसे भालका तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यह तीर्थ गुजरात के सौराष्ट्र के प्रभास क्षेत्र के वेरावल शहर में स्थित है, जो सोमनाथ मंदिर के करीब है।भगवान कृष्ण की मृत्यु का रहस्य
महाभारत युद्ध के बाद भगवान कृष्ण अपने कुल (वंश) का विनाश देखकर बहुत दुखी हो गए थे और वे सोमनाथ के पास स्थित प्रभास क्षेत्र में रहने लगे थे। एक दिन वे एक पीपल वृक्ष के नीचे योगनिद्रा में लेटे थे। उनके एक पांव का तलवा दूर से देखने पर एक बहेलिए (शिकारी) को किसी हिरण के मुख की तरह लगा। बहेलिए ने इसी भ्रम में उनके तलवे में तीर मार दिया। जिस बहेलिए ने यह तीर चलाया था, उसका नाम ‘जीरू’ था। जब बहेलिए का तीर भगवान श्रीकृष्ण के पांव में लगा तो उनका शरीर सुन्न पड़ने लगा था, क्योंकि वह तीर जहर से बुझा हुआ था। जीरू बहेलिए ने भगवान से गिड़गिड़ा कर अपनी गलती की माफी मांगी। भगवान ने भी उसे माफ कर दिया और कहा कि यह केवल एक संयोग है। दरअसल अपने वंश के नाश के बाद भगवान कृष्ण अपनी मृत्यु का एक बहाना ढूंढ़ रहे थे। जैसे ही उनके पांव में बहेलिए का विषयुक्त बाण धंसा, उसी क्षण भगवान ने देह त्यागने का निर्णय ले लिया था।गांधारी के श्राप से नष्ट हुआ यादव वंश
महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद जब युधिष्ठर राजसिंहासन पर बैठ रहे थे, तब तब कौरवों की माता गांधारी ने भगवान कृष्ण को महाभारत युद्ध और कौरवों के नाश के लिए दोषी ठहराते हुए श्राप दिया कि जिस प्रकार कौरव वंश का नाश हुआ है, ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा। कहते हैं, इस श्राप के कारण भगवान कृष्ण की आंखों के सामने ही यादव कुल के लोग आपस में लड़-झगड़ कर मर गए।ऐसे हुई थी भगवान कृष्ण की अंत्येष्टि!
कहते हैं, भगवान कृष्ण के वंश में केवल दो लोग बचे थे- बब्रु और दारूक। इन दोनों ने ही भगवान श्रीकृष्ण के शरीर को जल समाधि देकर उनकी अंत्येष्टि की थी। माना जाता है कि उन्हें लेने के लिए स्वयं देवी लक्ष्मी रथ लेकर आईं थीं और उनके दिव्य ज्योतिपुंज को लेकर वैकुंठ लोक चलीं गईं। वहीं कुछ प्रसंग ऐसे भी मिलते हैं कि भगवान कृष्ण ने स्वयं जल-समाधि ले ली थी और जल के प्रभाव से उनके शरीर से सारा विष निकल गया था और वे आज भी जल समाधि में ही हैं। ये भी पढ़ें: सावन के पहले सोमवार को जरूर घर लाएं ये 5 चीजें; शिव कृपा से बनेंगे बिगड़े काम! ये भी पढ़ें: महाभारत में कृष्ण के रिश्तेदार बने रावण, 100 अपराध करने की थी छूट!
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