Krishna Quotes: श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक अद्भुत दर्शन भी है। इसमें दिए गए सिद्धांत आज भी उतने ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं, जितने द्वापर युग में थे। यही वजह है कि गीता को सार्वकालिक महान ग्रंथ माना जाता है। यह ऐसा ग्रंथ है जिसे बार-बार पढ़ा और गहराई से समझा जा सकता है, क्योंकि यह जीवन के हर चरण में सही मार्ग दिखाने की क्षमता रखता है। इस ग्रंथ में मनुष्य के 3 ऐसे अवगुणों की बात की गई है, जो इससे ग्रसित होते हैं, वैसे व्यक्ति कभी सफल नहीं होते हैं? आइए जानते हैं, किसी व्यक्ति के ये 3 अवगुण क्या हैं?
जीवन को सही दिशा देती है गीता
श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक ग्रंथ है। जब अर्जुन युद्ध के समय मानसिक द्वंद्व में फंस गए थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया। गीता के गहन ज्ञान ने अर्जुन का संशय दूर कर दिया और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलते हुए युद्ध के लिए तैयार किया। यह अमूल्य ग्रंथ न केवल अर्जुन के लिए मार्गदर्शक बना, बल्कि आज भी लाखों लोगों को जीवन की सही दिशा और प्रेरणा प्रदान करता है।
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ये 3 लोग जीवन में कभी नहीं होते हैं सफल
गीता में मानव के सारे गुण और अवगुण बड़े ही स्पष्ट रूप से दिखाए गए हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया कि कैसे व्यक्ति अपने स्वभाव के अनुसार कर्म करता है और उसके परिणाम भोगता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में ये सारी बातें उपदेश के माध्यम से अर्जुन को बताई हैं। कहते हैं कि जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था, तो वह दोपहर का समय था। माना जाता है कि दोपहर में लिए सलाह और निर्णय बड़े स्पष्ट होते हैं।
लक्ष्य से दूर कर देती है आसक्ति
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में यह बताया है कि आसक्ति व्यक्ति को उसके लक्ष्य से भटका देती है। जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार से अत्यधिक जुड़ाव रखते हैं, तो हमारी ऊर्जा और ध्यान उसी में उलझ जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि हम अपने वास्तविक उद्देश्यों से दूर हो जाते हैं और असफलता का सामना करते हैं। श्रीकृष्ण ने समझाया कि आसक्ति से मुक्त होने के लिए हमें उन चीजों से दूरी बनानी होगी, जिनसे हम अत्यधिक जुड़ गए हैं। उन्होंने निष्काम भाव से कर्म करने की शिक्षा दी, जिससे हम आसक्ति से मुक्ति पाकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
आगे बढ़ने से रोकता है घमंड
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने घमंड के दुष्प्रभावों पर गहराई से प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि घमंड एक ऐसा विष है, जो व्यक्ति के मन को दूषित कर देता है और उसे विनाश की ओर ले जाता है। घमंड से ग्रस्त व्यक्ति दूसरों के साथ अच्छे संबंध नहीं बना पाता और हमेशा उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास करता है। ऐसे लोग अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते, जिससे वे खुद को सुधारने में असमर्थ रहते हैं। यह प्रवृत्ति अंततः उन्हें असफलता और पतन की ओर धकेलती है। सच तो यह है कि घमंड व्यक्ति को अंदर से कमजोर और खोखला बना देता है, जो उसके नाश का कारण बनता है।
हर काम में पीछे कर देता है आलस
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने आलस्य को एक ऐसा रोग बताया है जो व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देता है। उन्होंने कहा है कि आलस्य करने वाला व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता, क्योंकि आलसी व्यक्ति हमेशा आराम करना चाहता है और किसी भी काम को करने से कतराता है। आलस्य करने से शरीर और मन कमजोर हो जाता है। ऐसे लोग हमेशा नकारात्मक विचारों में डूबे रहते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि आलसी व्यक्ति को कभी सुख नहीं मिलता है। आलसी व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। ऐसे व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।