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Religion

Ekadashi Vrat: सफलता, समृद्धि और शोहरत चाहिए? जरूर रखें ये 5 एकादशी व्रत; भगवान शिव ने स्वयं बतलाया इनका महत्व

Ekadashi Vrat: साल में कुछ 24 एकादशियां होती हैं। मलमास होने पर इनकी संख्या 26 हो जाती हैं। यहां 5 ऐसी एकादशी की चर्चा की गई है, जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे भौतिक सुख, सामाजिक शोहरत और आंतरिक संतुलन भी प्रदान करती हैं। इसके बारे में स्वयं महादेव शिव ने देवर्षि नारद को बताया है। आइए जानते हैं, इन इन 5 पावन एकादशियों के बारे में।

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 22, 2025 07:41
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Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में व्रत-उपवास का विशेष स्थान है। इनमें एकादशी का व्रत सबसे शुभ और फलदायी माना जाता है। साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं। इस व्रत के दिन सात्विक आहार, संयम और भक्ति भाव के साथ भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इससे जीवन की नकारात्मकता दूर होती है और शुभता और समृद्धि का वास होता है।

आपको बता दें कि पद्म पुराण के उत्तर खंड में भगवान शिव ने स्वयं नारद जी को 5 ऐसी खास एकादशियों के बारे में बताया है, जो जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करती हैँ और सिर्फ पुण्य ही नहीं, सफलता, समृद्धि और शोहरत भी प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति दिलाने वाली इन 5 पावन एकादशियों के बारे में।

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जया एकादशी

जया एकादशी को पापों से मुक्ति का द्वार माना गया है। जब शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पुनर्वसु नक्षत्र हो, तब जया एकादशी आती है। यह व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु का पूजन करता है, उसे आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

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विजया एकादशी

विजया एकादशी के बारे में कहा जाता है कि यह हर कार्य में विजय दिलाती है। यह एकादशी शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर श्रवण नक्षत्र में आती है। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान और ब्राह्मण भोजन हजारों गुना फल देता है। जीवन में सफलता, कार्य सिद्धि और सामाजिक मान-सम्मान मिलता है।

पापमोचनी एकादशी

पापमोचनी का अर्थ है पाप से मोक्ष का मार्ग, जब शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर पुष्य नक्षत्र हो, तब पापमोचनी एकादशी आती है। इस दिन तिल का दान करना और भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायक होती है। यह एकादशी न केवल पापों से मुक्ति देती है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को भी दूर करती है।

निर्जला एकादशी

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी सबसे कठिन लेकिन सबसे श्रेष्ठ है। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता, इसलिए इसे निर्जला कहा गया है। इस एकादशी का व्रत रखने से पूरे साल की 24 एकादशियों का पुण्य मिलता है।यह व्रत जीवन में चमत्कारी बदलाव लाने वाला माना गया है। इस साल यह एकादशी 6 जून, 2025 को मनाई जाएगी।

मोक्षदा एकादशी

मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने और विष्णु पूजन करने से जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। यह एकादशी इस साल 1 दिसंबर, 2025 को पड़ रही है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 22, 2025 07:32 AM

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