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Devuthani Ekadashi 2025: आज है देवउठनी एकादशी, यहां जानिए सामग्री, पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त से लेकर सबकुछ

Devuthani Ekadashi 2025: आज कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि है. आज देवउठनी एकादशी है. आज का दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए खास होता है. देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु निद्रा योग से जागते हैं. आइये आज एकादशी तिथि पर सामग्री, पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त से लेकर सभी के बारे में जानते हैं.

Devuthani Ekadashi 2025: आज देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. देवउठनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं. भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है. विवाह की शुरुआत भी देवउठनी एकादशी के बाद से हो जाती है. आज देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है. चलिए आपको भगवान विष्णु की पूजा के लिए पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त बताते हैं.

देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Devuthani Ekadashi Shubh Muhurat)

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह में 05:09 से 06:11
प्रातः सन्ध्या- सुबह में 05:40 से 07:12
अभिजित मुहूर्त- सुबह में 11:15 से 11:50
विजय मुहूर्त- दोपहर 11 बजे से दोपहर 01:34
गोधूलि मुहूर्त- दोपहर में 03:54 से 04:24
सायाह्न सन्ध्या- दोपहर 03:54 से शाम 05:26
निशिता मुहूर्त- रात 11:03 से सुबह 12:04

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देवउठनी एकादशी सामग्री लिस्ट (Devuthani Ekadashi Samagri List)

देवताओं की फोटो या प्रतिमा
तुलसी का पौधा और पत्ता
दीपक, चावल, रोली और हल्दी
पंचामृत, पान, सुपारी, इलायची
मिश्री, कलश, फूल, धूपबत्ती, शंख
गन्ना, सिंघाड़ा, शकरकंद, फल और मिठाई

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देवउठनी एकादशी पूजा विधि (Devuthani Ekadashi Puja Vidhi)

देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें. इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें. चौकी लगाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और विधि-विधान से पूजा करें. भगवान को धूप दीप अर्पित करें. भोग लगाएं और आरती कर प्रसाद वितरित करें.

देवउठनी एकादशी मंत्र (Devuthani Ekadashi Mantra)

ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास।

ॐ श्री प्रकटाय नम: और ॐ वरलक्ष्म्यै नमः

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भगवान विष्णु की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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