Hindu New Year 2025: हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है। यह भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है और तुलसी के पौधे के हर हिस्से को खास उद्देश्यों से भगवान को अर्पित किया जाता है। यहां चर्चा तुलसी के तने से बनी तुलसी की माला की हो रही है. चाहे मंत्र जाप में तुलसी माला फेरने की बात हो या शरीर में धारण करने की, हर प्रकार से तुलसी की माला का विशेष महत्व है। इसे पहनने के कई धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ माने जाते हैं, लेकिन इसके पहनने के कुछ खास नियम भी हैं, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है।
तुलसी माला का महत्व और पहनने के नियम
तुलसी की माला का उपयोग विशेष रूप से वैष्णव साधकों द्वारा किया जाता है। यह माला भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भगवान विष्णु के आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक मानी जाती है। यही कारण है कि विशेष अवसरों जैसे हिंदू नववर्ष, अक्षय तृतीया और दूसरे महत्वपूर्ण त्योहारों पर इसे बदलने की परंपरा है। यह माना जाता है कि नए वर्ष की शुरुआत में तुलसी की माला बदलने से जीवन में समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस बार हिन्दू नववर्ष की शुरुआत रविवार 30 मार्च, 2025 से हो रही है। तुलसी की माला पहनने के कुछ खास नियम होते हैं जिन्हें जानना और पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं, क्या हैं ये नियम?
ये भी पढ़ें: Mahabharata Story: पिछले जन्म में कौन थी द्रौपदी, क्यों मिले उसे 5 पति? जानें पांचाली से जुड़े रहस्य
श्मशान घाट पर जाना है निषेध
तुलसी की माला पहनने वाले व्यक्ति को श्मशान घाट पर जाने और किसी अंतिम संस्कार में शामिल होने से बचना चाहिए। यदि कोई मजबूरी हो और इन स्थानों पर जाना पड़े, तो माला को पहले उतारकर गंगाजल में डुबोकर रखना चाहिए। इस प्रक्रिया से माला की पवित्रता बनी रहती है और व्यक्ति का धार्मिक आचार-विचार भी सही रहता है।
तामसिक भोजन से बचें
तुलसी की माला पहनने वाले व्यक्ति को तामसिक भोजन जैसे मांसाहार, शराब आदि से दूर रहना चाहिए। यहां तक कि बहुत से लोग ऐसे आहारों का स्पर्श भी नहीं करते हैं। यह माला शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है, और तामसिक भोजन से व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
माला को बार-बार न पहनें और उतारें
तुलसी की माला को एक बार पहनने के बाद उसे बार-बार पहनने और उतारने से बचना चाहिए। अगर किसी कारणवश माला उतारनी पड़े, तो उसे गंगाजल से धोकर फिर से धारण करना चाहिए। इस प्रक्रिया से माला की पवित्रता बनी रहती है और व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
यदि गले में पहनने में परेशानी हो, तो हाथ में पहनें
तुलसी की माला को अधिकांश लोग गले में पहनते हैं, वो भी कंठ के पास। वहीं, कई लोग तुलसी की माला को गले में पहनने में असहज महसूस करते हैं। ऐसे में उन्हें माला को दाहिने हाथ में पहनना चाहिए। इससे माला का महत्व बना रहता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
ये भी पढ़ें: इन 3 तारीखों में जन्मे लोगों पर रहती है शुक्र ग्रह और मां लक्ष्मी की खास कृपा, जीते हैं ऐशो-आराम की जिंदगी!
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।