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Argala Stotram: नवरात्र में करें दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र का पाठ, मां दुर्गा शत्रुओं का करेंगी नाश

Durga Saptashati Argala Stotram:n वैदिक पंचांग के अनुसार, 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। बता दें कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है। तो आज इस खबर में दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र पाठ के बारे में जानेंगे।

Durga Saptashati Argala Stotram: सनातन धर्म में कई धार्मिक और पवित्र ग्रंथ हैं। जिसमें एक है श्री दुर्गा सप्तशती में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्र। जी हां अर्गला स्तोत्र पढ़ने के कई सारे नियम हैं। यदि आप उन नियमों को पालन करते हैं, तो सारी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं। साथ ही सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। तो आज इस खबर में  दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र के पाठ के बारे में जानेंगे।

।। अथार्गलास्तोत्रम् ।।

ॐ अस्य श्री अर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः अनुष्टुप छन्दः श्रीमहालक्ष्मीर्देवता श्रीजगदम्बाप्रीतये सप्तशती पाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः । ॐ नमश्चण्डिकायै

।। अथार्गलास्तोत्रम् स्तोत्रम।।

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।। 1।। जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि। जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तुते ।।2।। ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है। मधुकैटभविद्राविविधातृ वरदे नमः। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।3।। महिषासुरनिर्णाशि भक्तनाम सुखदे नमः। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 4।। रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनी। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।5 ।। शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनी। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 6।। वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनी। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 7।। अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 8।। नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 9।। स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वाम चण्डिके व्याधिनाशिनि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।। 10।। चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 11।। देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 12।। विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 13।। विधेहि देवि कल्याणम् विधेहि परमां श्रियम। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 14।। सुरसुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेम्बिके। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 15।। विद्यावन्तं यशवंतं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 16।। प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 17।। चतुर्भुजे चतुर्वक्त्र संस्तुते परमेश्वरि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 18।। कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वत भक्त्या सदाम्बिके। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 19।। हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 20।। इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 21।। देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 22।। देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदये अम्बिके। रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। 23।। पत्नीं मनोरमां देहिमनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ।। 24।। इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः। स तु सप्तशती संख्या वरमाप्नोति सम्पदाम्। ॐ ।। 25।। यह भी पढ़ें- कल से बदल जाएगी इन 3 राशियों की किस्मत, शनि देव करेंगे नक्षत्र परिवर्तन यह भी पढ़ें- सूर्य ग्रहण के अगले दिन बुध देव बनाएंगे नीचभंग राजयोग, इन 3 राशि के लोग काटेंगे मौज यह भी पढ़ें- सूर्य ग्रहण के बाद होगा मंगल का महागोचर, इन 2 राशियों के लिए सोने पर सुहागा डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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