Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। लेकिन पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र शुक्ल द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ रही है। इसलिए इस पूजा के दूसरे दिन ही मां चंद्रघंटा की आराधना भी की जाएगी। इस दिन देवी मां के इन् दोनों स्वरूपों स्वरूप की आराधना का विशेष महत्व है।
मां दुर्गा के द्वितीय रूप देवी ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। इसलिए वे ज्ञान प्राप्त करने के इच्छुक लोगों की आराध्य देवी हैं। वहीं मां दुर्गा के तृतीया रूप देवी चंद्रघंटा को शक्ति, साहस, वीरता, निर्भयता और सौम्यता की देवी हैं। आइए जानते हैं, मां ब्रह्मचारिणी और चंद्रघंट की पूजा के मंत्र और उनका प्रिय भोग क्या-क्या हैं?
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पूजा के मंत्र
देवी ब्रह्मचारिणी का स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
देवी ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।
देवी चंद्रघंटा का उपासना मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।
देवी चंद्रघंटा का बीज मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रिय भोग
आज मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग अर्पित करें। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर होता है, जो मां की कृपा पाने के लिए बेहद प्रभावी है। वहीं, देवी चंद्रघंटा को दूध या मेवा से निर्मित चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप इस दिन मां को दूध से बनी मिठाई, मिल्क बर्फी आदि का भोग लगा सकते हैं।
प्रिय फूल
मां दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी को चमेली, कमल और सफेद रंग के फूल प्रिय हैं। इन फूलों को अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में धर्म, ज्ञान और तप की वृद्धि होती है। वहीं, मां चंद्रघंटा को गुड़हल और लाल रंग के फूल अर्पित करें। इन फूलों की अर्पणा से आपके जीवन में ऊर्जा, शांति और समृद्धि का वास होता है।
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