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Religion

देश की अद्भुत परंपरा, यहां एक दिन के लिए पूरा गांव बन जाता है वनवासी

बिहार के नौरंगिया गांव में आज भी वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है, जिसके तहत 12 घंटे के लिए लोग घर छोड़कर जंगल में रहने के लिए चले जाते हैं। पढ़ें बगहा से दिलीप दुबे की रिपोर्ट।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: May 6, 2025 16:11
Bagaha Village

देश में आज भी कई ऐसी परंपराएं चली आ रही हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। हालांकि ग्रामीण खुशी-खुशी इन परंपराओं को निभाते हैं। बिहार के बगहा के नौरंगिया में वर्षों से एक पुरानी परंपरा चल रही है। हर साल यहां पर वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी का पर्व मनाया जाता है, जिस दिन थारू समाज के लोग अपने मवेशियों के साथ 12 घंटे के लिए गांव को छोड़कर जंगल में चले जाते हैं।

पूरे 12 घंटे के लिए गांव खाली हो जाता है। बच्चों से लेकर बड़े इस परंपरा को बड़ी शिद्दत से निभाते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं इस अद्भुत परंपरा के बारे में।

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देखने को मिलता है त्योहार जैसा माहौल

गांव वाले हर साल सीता नवमी के दिन सुबह 6 बजे से पहले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थित भजनी कुट्टी स्थान पहुंच जाते हैं। जहां मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके लिए प्रसाद बनाते हैं। साथ ही सामूहिक भोजन करते हैं। जंगल में इस दिन त्योहार जैसा माहौल देखने को मिलता है।

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जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों पहले गांव वाले भीषण आगजनी और महामारी से त्रस्त हो गए थे। इससे निजात पाने के लिए परमहंस नामक बाबा ने देवी मां की साधना की। देवी ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और कहा, ‘सभी गांव वाले सीता नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाएं।’ इसी के बाद से ये परंपरा यहां शुरू हो गई। हालांकि 12 घंटे के बाद सभी गांव वाले अपने घर वापस आ जाते हैं।

सामाजिक एकता का है प्रतीक

गांव के मुखिया सुनील महतो का कहना है कि ये हमारी आस्था का सवाल है। चाहे कोई कितना भी बीमार हो, उसे भी जंगल ले जाया जाता है। इसी के आगे उन्होंने कहा, ‘ये परंपरा न केवल आस्था बल्कि सामाजिक एकता और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है।’

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: May 06, 2025 04:11 PM

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