Bhagwan Kalbhairav Jayanti: हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी को दो व्रत होते है, मासिक कृष्णाष्टमी और कालाष्टमी। जहां कृष्णाष्टमी भगवान वासुदेव कृष्ण की मासिक जयंती होती है, वहीं कालाष्टमी भी भगवान कालभैरव की जयंती और उनकी उपासना का विशेष दिन होता है। साल 2024 में आषाढ़ माह की कालाष्टमी 28 जून को पड़ रही है। आइए जानते हैं, भगवान कालभैरव और कालाष्टमी व्रत का क्या महत्व है, किन उपायों के करने से आपके रुके हुए काम बन सकते हैं और जीवन में सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि हो सकती है?
भगवान कालभैरव कौन हैं?
भगवान कालभैरव को हिन्दू धर्म में महादेव का शिव का उग्र रूप माना जाता है। कालचक्र के अनुसार वे सृष्टि विनाश और संहार करने के कारण कालभैरव कहलाते वहीं, सामान्य और कल्याणकारी रूप में वे भगवान भैरव के रूप में पूजित हैं। वे भक्तों की रक्षा और मोक्ष के दाता भी हैं। पौराणिक कथाओं में इनका चित्रण नगर स्वामी कोतवाल के रूप में हुआ है। कहते हैं, प्राचीन भारत में भारत के हर नगर में इनका मंदिर था। कहीं बाहर से नगर में आने के बाद प्रत्येक यात्री और व्यापारी सबसे पहले इनका आशीर्वाद लेकर ही अपना कोई काम शुरू करते थे। आज भी यह परंपरा काशी और उज्जैन में कायम है, जहां तीर्थयात्री सबसे पहले भगवान भैरव की पूजा के बाद भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का दर्शन करते हैं, अन्यथा उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है।
कालाष्टमी व्रत करने के लाभ
कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान कालभैरव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। कालभैरव की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, क्योंकि कालभैरव को इच्छा पूर्ति करने वाला देवता हैं। इनकी विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को हर प्रकार के भय और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और स्वास्थ्य लाभ होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। भगवान काल भैरव की कृपा से रुक हुए काम पूरे होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कालाष्टमी पर करें ये उपाय
कुत्ते को तेल में चुपड़ी रोटी खिलाएं: कुत्ते को भगवान कालभैरव का वाहन माना गया है। कालाष्टमी व्रत के दिन कुत्ते को सरसों तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलाने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं। आप उसे अन्य पकवान जैसे पकौड़े, पूरी आदि भी खिला सकते हैं। लेकिन याद रखें कि खाने की किसी भी वस्तु में लेशमात्र भी घी का उपयोग नहीं होना चाहिए।
भगवान कालभैरव को मदिरा चढ़ाएं: भगवान कालभैरव को मदिरा चढ़ाने की परंपरा काफी प्राचीन और बहुत प्रचलित है। इस व्रत के दिन भगवान कालभैरव के मंदिर में जाकर उनको मदिरा अर्पित करें। इससे आपके रुके हुए और अटके हुए काम बनने लगेंगे और शीघ्र ही शुभ समाचार प्राप्त होगा।
नींबू अर्पित करें: आषाढ़ माह का कालाष्टमी व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन किसी भी भैरव मंदिर में भगवान कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए चंदन की सुगंध वाली की 33 अगरबत्ती जलाएं और उन्हें 7 नींबू अर्पित करें। कहते हैं, इस उपाय से जीवन के सभी रोग और शोक समाप्त हो जाते हैं।
ये भी पढ़ें: हर सपना कुछ कहता है: सपने में ‘दौड़ते हुए घोड़े’ दिखें तो मिलते हैं ये 5 शुभ संकेत
ये भी पढ़ें: Shakun Shastra: कौआ देता है किस्मत चमकने ये 7 संकेत, जानें कैसे होते हैं ये और क्या हैं इनके अर्थ?
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।