
1 / 8
Dr. APJ Abdul Kalam Death Anniversary: देश के पूर्व राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से जाने जाने वाले डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें बताता है कि हर हालात में कैसे हमें बिना घबराएं तैयार रहना चाहिए। आज अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है। साल 2015 में आज के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली थी। वे देश के 11वें राष्ट्रपति थे। उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में 15 अक्टूबर, 1931 को हुआ था। उनके विचार और उनकी सोच आज के युवाओं की जिंदगी में पॉजिटिविटी लाएगा और सही राह दिखाएगा।

2 / 8
सुबह 4 बजे उठकर अखबार बेचना- रामेश्वरम की गलियों में एक नन्हा बच्चा रोज सुबह 4 बजे उठता था और पहले मैथ्स की प्रैक्टिस करता था और फिर रेलवे स्टेशन से अखबार लाकर मोहल्ले-मोहल्ले बांटता था। वह कोई और नहीं बल्कि अब्दुल कलाम थे। इससे नौजवान को यह सीख मिलती है कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता है। मेहनत करके आप उसमें भी सफलता का रास्ता ढूंढ सकते हैं।
---विज्ञापन---

3 / 8
एक सपना अधूरा रहने से गमगीन न होए- डॉ. कलाम वायुसेना में फाइटर पायलट बनना चाहते थे। हालांकि, उनका यह सपना अधूरा रह गया था, मगर फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी थी। उन्होंने उस दिन खुद से एक वादा किया कि "मैं आकाश में उड़ नहीं सका, लेकिन देश को उड़ने लायक जरूर बनाऊंगा।" इससे सीख मिलती है कि एक हार से कभी मंजिल की तलाश खत्म नहीं होती है।

4 / 8
एक किताब, जिसने बदली सोच- जब उनका पायलट बनने का सपना टूटा, तब उन्होंने स्वामी शिवानंद की किताब "मन की शक्ति" पढ़ी थी। ये बुक उनके लाइफ का टर्निंग पॉइंट बनी। उन्होंने बताया कि "मैंने जाना कि हर असफलता मेरे भीतर कुछ नया पैदा कर रही है।" यह सीख देता है कि जीवन का नया रास्ता कहीं से भी मिल सकता है, बस हर एक चीज का मूल्य समझना जरूरी होता है।
---विज्ञापन---

5 / 8
विज्ञान में राष्ट्रभक्ति का स्वाद- कलाम सिर्फ वैज्ञानिक नहीं थे, वो देशभक्ति को जागृत करने वाले वैज्ञानिक थे। उन्होंने मिसाइल और सैटेलाइट सिस्टम को भारत में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने जीवन के कई साल दिए थे। उनकी अगुवाई में बना ‘IGMDP (Integrated Guided Missile Development Programme)’ की शुरुआत हुई थी। यह भारत को मिसाइल पावर बनाने की दिशा में सफल कदम साबित हुआ था। इससे सीख मिलती है कि हमारा देश सर्वोपरी है, हम जो भी काम करें सही करें जो देश का गौरव बढ़ाए।

6 / 8
न कोई पेंशन न संपत्ति- अब्दुल कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद न तो कोई सरकारी बंगला लिया था और न ही पेंशन ली थी। उनके पास न अपनी गाड़ी थी, न ही कोई फॉर्महाउस। इस पर उनका मानना था कि "मैंने जो भी किया, वह देश के लिए किया। मेरी असली दौलत युवाओं का प्यार है।" यह इस बात की सीख देता है कि दौलत कमा लेने से हम बड़े नहीं होते काम ऐसे किए जाएं जिससे लोग सालों साल हमें याद रखें।

7 / 8
छात्रों के लिए हमेशा तैयार- कलाम का फोन कभी बिजी नहीं होता था जब कोई छात्र उन्हें कॉल करता था, वे कहते थे, "अगर छात्र आपसे कुछ पूछना चाहता है, तो उस पल आपसे बड़ा कोई नहीं बन सकता।" इसलिए उन्होंने 2,000 से ज्यादा स्कूल-कॉलेजों में भाषण दिए थे। इसकी सीख थी कि शिक्षा पर सभी का अधिकार है और इससे सबतक पहुंचाना ही ज्ञान की ताकत को बढ़ाता है।

8 / 8
अंग्रेजी कमजोर फिर भी किसी से कम नहीं- डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम को को इंजीनियरिंग के दौरान अंग्रेजी भाषा में कठिनाई होती थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने खुद को कमजोर नहीं समझा। उन्होंने घंटों अकेले बैठकर अंग्रेजी के शब्दों का उच्चारण कर खुद को परफेक्ट बनाया था। इससे सीख मिलती है कि हमें सीखने से कोई नहीं रोक सकता है और कोई काम ऐसा नहीं है जिसे हम सीख नहीं सकते और कर नहीं सकते हैं।