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Opinion

राज और उद्धव आएंगे साथ…महाराष्ट्र को और क्या चाहिए? पढ़ें सामना का संपादकीय

महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आने को तैयार हैं, इस खबर ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। अब जब दोनों भाई एक हो रहे हैं तो महाराष्ट्र को अब और क्या चाहिए? आइए इस मुद्दे पर सामना का संपादकीय पढ़ें...

Author Reported By : Vinod Jagdale Edited By : Khushbu Goyal Updated: Apr 21, 2025 10:55
Raj Thackeray Uddhav Thackeray

महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आने को तैयार हैं, इस खबर ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस खबर से जहां कई लोग खुश हुए, वहीं कई लोग पेट दर्द से बेजार हो गए। राज ठाकरे की अब तक की राजनीति अस्थिर शैली की रही है और वह ज्यादा सफल नहीं रही है। शिवसेना छोड़ने के बाद उन्होंने ‘मनसे’ नाम से एक स्वतंत्र पार्टी बनाई।

उस समय महानगरपालिका और विधानसभा चुनावों में उन्हें लोगों का काफी समर्थन मिला, लेकिन बाद में उनकी पार्टी डगमगाने लगी। भारतीय जनता पार्टी, ‘शिंदे मंडली’ आदि ‘राज के कंधे’ पर बंदूक रखकर शिवसेना पर हमला करते रहे। इससे राज की पार्टी को राजनीतिक तौर पर तो कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन मराठी एकता को भारी नुकसान हुआ। राज की भूमिका मोदी और शाह को महाराष्ट्र में पैर नहीं जमाने देने की थी।

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इच्छा होनी चाहिए, साथ रहना मुश्किल नहीं

राज का मानना था कि शाह-मोदी महाराष्ट्र के हितों के बारे में नहीं सोचते। वे उस भूमिका पर कायम नहीं रहे। भाजपा का हिंदुत्व नकली और घटिया है। भाजपा ने राज को इस नकली हिंदुत्व के जाल में फंसाया और वे फिसलते चले गए। अब उन्होंने एक इंटरव्यू में साफ किया है कि, ‘जो हुआ सो हुआ, किसी भी बड़ी चीज के आगे हमारी बहस और झगड़े गौण हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है। मराठी मानुष के अस्तित्व के लिए ये चीजें बहुत महत्वहीन हैं। मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना, एक साथ रहना बहुत मुश्किल है।

बात सिर्फ इच्छा की बात है।’ राज जिसे हमारा विवाद कहते हैं वह उद्धव ठाकरे को लेकर है। ये विवाद क्या है? यह कभी सामने नहीं आया। राज मराठी लोगों की बात करते रहे और शिवसेना का जन्म मराठी हित के लिए हुआ और उद्धव ठाकरे ने वह हित नहीं छोड़ा। तो कोई विवाद है? राज की ओर से केवल भाजपा, शिंदे आदि ही बोलने लगे और ऐसा बोलने का कोई कारण नहीं था। इन लोगों ने विवाद शुरू किया इसलिए अगर भाजपा और शिंदे को दूर रखा जाए तो विवाद रहता कहां है? एक साथ आने के लिए इच्छा चाहिए।

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महाराष्ट्र के हित के लिए एक हो रहे दोनों

राज जो कहते हैं वो सच है, लेकिन वह किनकी इच्छा की बात कर रहे हैं? जैसे ही राज ने अपनी इच्छा जाहिर की तो उद्धव ठाकरे भी पीछे नहीं रहे और महाराष्ट्र के व्यापक हित के लिए उन्होंने भी मजबूती से कदम आगे बढ़ाया। अगर कोई छोटा-मोटा विवाद हो तो भी मैं महाराष्ट्र के हित के लिए मिलकर काम करने को भी तैयार हूं, ऐसी भूमिका उद्धव ठाकरे ने व्यक्त की है। यह महाराष्ट्र की जन भावना द्वारा फूंकी हुई तुरही है।

मराठी लोगों के स्वाभिमान और महाराष्ट्र के कल्याण के लिए अब कोई मतभेद आदि नहीं हैं, बल्कि विनम्र आशा यह है कि राज अब महाराष्ट्र के दुश्मनों की पंगत में शामिल न हों और महाराष्ट्र के शत्रुओं को घर की दहलीज से बाहर रखें। अगर उद्धव ने यह व्यक्त किया है तो किसी को इसे बंधन या शर्त नहीं मानना चाहिए। उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के दुश्मनों को घर में पनाह नहीं मिलनी चाहिए। इसके पीछे एक पीड़ा है।

फडणवीस का महाराष्ट्र प्रेम एक दिखावा

अमित शाह, मोदी, फडणवीस, एकनाथ शिंदे आदि ने महाराष्ट्र को कमजोर करने के लिए हिंदूहृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना पर हमला बोला। राज ठाकरे का जन्म भी इसी शिवसेना के गर्भ से हुआ तो महाराष्ट्र की मां के साथ बेईमानी करनेवालों को पंगत में बिठाकर महाराष्ट्र के हित की बात एकत्र होकर कैसे आगे बढ़ाएंगे? यह एक सरल और सीधा प्रश्न है। शिंदे और उनके लोग मोदी-शाह कठपुतलियां हैं।

फडणवीस का महाराष्ट्र प्रेम का दिखावा बार-बार उजागर हुआ है। इन लोगों ने मुंबई को बेचने के लिए रख दिया और महाराष्ट्र की लूट का ‘टेंडर’ अमराठी ठेकेदारों को दे दिया। धारावी के निमित्त पूरी मुंबई को गुजराती व्यापारियों की जेब में डाला जा रहा है और मराठी मानुष मुंबई के इस विस्कोट को खुली आंखों से, हताशा के भाव से देख रहा है।

मुंबई में संकट के समय अन्य समुदाय मजबूती से एक साथ खड़े रहते हैं, लेकिन एकजुटता का यही मराठी बाना शौर्य खोखला हो गया है। विलेपार्ले एक समय मराठी संस्कृति का अभेद्य गढ़ था, लेकिन पिछले दिनों जब महानगरपालिका ने वहां एक जैन देरासर के खिलाफ कार्रवाई की, तो कुछ ही क्षणों में हजारों जैन बंधु एकत्रित हो गए।

उन्होंने महानगरपालिका के खिलाफ मोर्चा निकाला इतना ही नहीं महानगरपालिका के अधिकारियों को तुरंत स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया। मुंबई में, अन्य जाति और धर्म के बंधु एक साथ रहते हैं और भाजपा जैसी व्यापारिक वृत्ति वाली पार्टियों का समर्थन करते हैं। यह महाराष्ट्र की बजाय मराठी लोगों के मूल में आनेवाला है।

मराठी माणुष की एकता

कमजोर कर दी गई तो मुंबई को महाराष्ट्र से अलग किया जा सकता है, यह भाजपा और उसके व्यापारिक मंडल का सीधा गणित है इसीलिए उन्होंने उस मराठी एकता पर लगातार हमला करने की कोशिश की, जो मुंबई की तरफ टेढ़ी नजर से देखनेवालों की आंखें निकालकर हाथ में दे देती थी। उन्होंने मराठी एकता की वङ्कामूठ शिवसेना पर भी प्रहार किया और इसके लिए कुल्हाड़ी के डंडे का इस्तेमाल किया गया। चार साल से मुंबई महानगरपालिका के चुनाव नहीं हुए हैं।

वॉशिंगटन निवासी तुलसी गबार्ड ने महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा और उसके व्यापारी मंडल ने किस तरह जीत हासिल की उसका गणित बता ही दिया है। बेशक, इन सभी महाराष्ट्र गद्दारों से लड़ने का साहस और शक्ति केवल मराठी मानुष के पास है इसलिए मराठी लोगों को एक साथ आना चाहिए। राज ठाकरे ने इस एकता के महत्व को समझा और उद्धव ठाकरे ने भी दिल खोलकर प्रतिसाद दिया। यह एक ऐसा राजनीतिक घटनाक्रम है, जो महाराष्ट्र के गद्दारों की चूलें हिला देगा।

भाजपा की राजनीति यूज एंड थ्रो की

दोनों ‘भाई’ एक साथ आएंगे, इस वजह से कई लोगों के पेट में डर का गोला उठने लगा है और वे गुस्साने लगे हैं चिढ़ने लगे हैं, वहीं कुछ चेहरे पर नकली खुशी दिखाते हुए कहते हैं, ‘वाह, बहुत अच्छा! अगर दोनों ठाकरे एक साथ आ जाएं तो खुशी होगी’ ऐसा कहने लगे हैं। लेकिन महाराष्ट्र के गद्दारों की ये खुशी असली नहीं है। महाराष्ट्र के मन में जो है वो होना चाहिए, अगर बहस और झगड़ों में जीवन बीता तो महाराष्ट्र की आने वाली पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी। भाजपा की राजनीति ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ की है।

मोदी, शाह, फडणवीस देश के नहीं हैं तो महाराष्ट्र राज्य के कैसे हो सकते हैं? उन्होंने राजनीति में जहर बोने का काम किया। यह उनकी भूमिका नहीं है कि महाराष्ट्र में कृष्णा-कोयने की धारा को शुद्ध किया जाए और हर कोई उस शुद्ध धारा में आ जाए। उन्होंने सभी को प्रयागराज की मैली, अपवित्र धारा में उतारा और धर्म का धंधा किया। इस अजीब और जहरीले दौर में महाराष्ट्र के मराठी जनता को सबक लेना चाहिए और हर कदम फूंक-फूंककर रखना चाहिए। विष से अमृत निकले तो वही महाराष्ट्र को चाहिए।

First published on: Apr 21, 2025 10:39 AM

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