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BJP को बचानी है अपनी साख, तो तुरंत करें ये सुधार; चुनावी नतीजों ने द‍िया बड़ा सबक

Lok Sabha Election Result 2024 Analysis: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कई मुद्दों पर सोचने की जरूरत है। आखिर कौन सी वो वजहें हैं, जिससे बीजेपी की सीटें हम हुई हैं और आगामी चुनाव में उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है?

Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Jun 11, 2024 12:50
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Narendra Modi

(पूरन डावर)

Lok Sabha Election Result 2024 Analysis: 2024 के आम चुनाव का परिणाम अनेकों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है और सबको सबक़ देकर गया है। कोई भी अपरिहार्य नहीं है। किसी को यह गुमान नहीं होना चाहिये कि वे बदले नहीं जा सकते।

महत्वपूर्ण बातें

राष्ट्रहित के मुद्दे महत्वपूर्ण देश की भौगोलिक सीमाएं की रक्षा महत्वपूर्ण हैं, कश्मीर का मुद्दा महत्वपूर्ण है, देश में जो विस्थापित लंबे समय से रह रहे हैं उनकी नागरिकता भी महत्वपूर्ण है, राजनीतिक भ्रष्टाचार का उन्मूलन महत्वपूर्ण है, देश में समान नागरिकता क़ानून महत्वपूर्ण है, जनसंख्या पर नियंत्रण महत्वपूर्ण है, रोज़ रोज़ के चुनाव से भी मुक्ति चाहिए एक देश एक चुनाव महत्वपूर्ण मुद्दा है। देश की अस्मिता पर जी समय समय पर चोट लगी देश की संस्कृति आहत हुई उसे वापस लाना भी महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार कहें भाजपा सरकार कहें या फिर एनडीए सरकार, इन विषयों को बखूबी देख रही है। दिशा ठीक थी शुरुआत शौचालयों और स्वच्छता से हुई लेकिन कहीं न कहीं भटक गयी।

बुनियादी समस्याओं में हो सुधार

देश की अर्थव्यवस्था भले ही 5वें स्थान पर पहुंच गई हो लेकिन जनसंख्या के अनुपात में देखें या प्रतिव्यक्ति आय (पर कैपिटा इनकम) देश अभी भी बहुत पीछे है। आम जनों की बुनियादी समस्याओं में त्वरित सुधार आवश्यक है। हालांकि भोजन सुरक्षा मिली है, राशन मिल रहा है, घरों में बिजली, गैस गावों तक पहुंच रही है, ग़रीबों के पक्के मकानों पर भी ध्यान है, स्वच्छता पर जनता जाग्रत हो रही है।

क्या है समस्या?

सरकार को समीक्षा करनी होगी जो आंकड़े रखे जा रहे हैं। वे आंकड़े धरातल पर कितने सही हैं। जब हम 200 करोड़ से ऊपर वैक्सिनेशन की जानकारी या सर्टिफिकेट एक क्लिक पर ले लेते हैं तो इन योजनाओं के प्रतिफल की न केवल जानकारी बल्कि पक्के मकानों की लिस्ट फोटो सहित उपलब्ध हो सकती है। सर्विलांस के ज़रिये उनकी देखरेख जानी जा सकती है।
शिक्षा नीति में परिवर्तन तो हुआ लेकिन धरातल पर अभी एक कदम भी नहीं बढ़ा, सबसे बड़ी समस्या बेरोज़गारी की है। अभी तक के 75 सालों में केवल विलायती बबूल के पेड़ लगे हैं तो आम तो लगने वाले थे नहीं। उनके हुनर छीन कर पेपर की डिग्री पकड़ा दी गई। सरकारी नौकरियों में असीमिति भ्रष्टाचार और पैसे ने सारे युवाओं का एक मात्र लक्ष्य सरकारी नौकरी बन गई। किसी तरह डिग्री लो सरकारी नौकरी की न्यूनतम या अधिकतम अहीर्तता हासिल करो और जुट जाओ नौकरियों की जुगाड़ में। सरकारी अर्द्ध सरकारी बैंकिंग सब मिलाकर मात्र 7% नौकरियाँ हैं बाक़ी 93% के हाथ निराशा हैं। आवश्यकता उद्यमशीलता की है, पूरे देश को स्किल करने की है, शिक्षा नीति में अनिवार्य रूप से एक ज़िला एक उत्पाद की शिक्षा होनी ही चाहिए या कम से कम मेक इन इंडिया के फोकस उत्पादों को बेसिक शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकता है।

भ्रष्टाचार मुक्स भारत का सपना

सबसे बड़ी समस्या है सरकार भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाना चाहती है। ऊपर के स्तर पर भ्रष्टाचार निश्चित कम हुआ है। सरकार पर किसी बड़े घोटाले के आरोप नहीं लगे हैं लेकिन धरातल पर सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री तो दूर पदाधिकारियों के आचरण में तो अंतर नहीं लगता। कदम कदम पर भ्रष्टाचार है। आम आदमी की पहुंच या ज़रूरत पंचायत, तहसील, निगम, विकास प्राधिकरणों तक है। इनके भ्रष्टाचार में क़तई राहत नहीं है। हो भी कैसे जब पंचायत सदस्यों से लेकर पार्षदों तक की टिकटें बेची जाती हों।  ऐसे कृत्यों ने सरकार के सारे बड़े कार्यों को धोया है और तेज़ी से मोदी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण को पलीता लग रहा है। क्योंकि जब आम आदमी को राहत नहीं है तो ऊपर यदि झूठे भी आरोप लगें तो आम आदमी उसे भी सत्य मानने लगेगा।

नेताओं का चुनाव

नगर निगम हों या प्राधिकरण कार्यशैली में केवल पेपर पर अंतर, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सिर्फ़ ख़ानापूर्ति। कुछ ने सीख लिया है पोर्टल पर आंकड़े डालकर कैसे रेटिंग बनायी जा सकती है। ऐसे ही अनेक सड़क छाप नेता सोशल मीडिया पर फोटो डाल डाल कर नमों पोर्टल पर डाल कर अपने को दर्शाने में सफल हो जाते है धरातल पर कोई बेस नहीं। प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं और प्रतिभाओं को दरकिनार कर दूसरे दलों के भ्रष्ट दागी यहां तक कि रेप में आरोपितों को शामिल करना और विधानसभा ,लोकसभा और राज्य सभा में पहुंचाना… भाजपा के आचरण पर सबसे बड़ा आघात है। जब उनके कारनामें उजागर होते है तो आरोप सीधे भाजपा पर आता है और भाजपा की स्वच्छ और भ्रष्टाचारमुक्त राजनीति पर सीधा तमाचा लगाता है। महाराष्ट्र की राजनीति में तो सारी हदें पार कर दीं और नतीजा सामने हैं।

साख पर लगे दाग

जब कोई छोटा उद्योग बिना पॉवर डेलीगेशन के नहीं बढ़ सकता या नहीं चल सकता तो विश्व का सबसे बड़ा देश बिना डेलीगेशन के कैसे चल सकता है? राज्यों के नेतृत्व की अपनी भूमिका है स्थानीय लोकप्रियता, स्थानीय मुद्दे राज्य में वर्षों का त्याग से नेतृत्व खड़ा होता है। उसे पंगु बनाना बुद्धिमत्ता नहीं कहा जा सकता, न उस नेतृत्व को दरकिनार कर किसी भी कठपुतली को दिया जा सकता है। अहम हम अपरिहार्य हैं, हम चुनाव जीतना जानते हैं, हमारे पास पन्ना प्रमुख हैं, हमारे पास कार्य कर्ताओं की फ़ौज है। यहां तक कि संघ शक्ति भी निरर्थक हो जाती है। जब अहम चरम पर होता है तो किशोरी लाल शर्मा जैसा छोटा से छोटा कार्यकर्ता भी स्मृति ईरानी जैसी प्रतिभाओं को भी परास्त कर सकता है।

हर शहर में हो वॉटर फ्रंट

2014 के परिणाम इसी ओर स्पष्ट संकेत करते हैं। यदि समय रहते कार्यशैली में सुधार नहीं आया तो न वैश्विक इमेज काम आएगी न बड़े बड़े कार्य पहले छोटे छोटे कार्य देश में आम आदमी की दशा बदलना, गांवों और शहरों की सूरत बदलना, हवाई अड्डे बाद में पहले बस अड्डों को पूर्ण सुविधयुक्त बनाना देश की आम जानता हवाई अड्डों पर नहीं रेल और बसों में चलती हैं। रेलवे में निश्चित बड़े सुधार हुए हैं लेकिन बस अड्डे निजी क्षेत्र में देकर पहले ही टर्म में ही बदले जा सकते थे। साबरमती वाटर फ्रंट खूब प्रचारित किया गया.. 5 साल में हर शहर जो नदी के किनारे हैं सब पर वाटर फ्रंट बन सकता है। मात्र एक वाटर फ्रंट पर 30 से अधिकतम 100 करोड़ और इसके लिए धन जुटाने की आवश्यकता नहीं बल्कि सरकार धन बना सकती है। नदियां भी स्वतः साफ़ हो सकती हैं, यह सब पीपीपी पर आसानी से संभव है।

स्मार्ट सिटी

स्मार्ट सिटी की योजना जितनी भटकी है शायद और कोई योजना इतनी नहीं भटकती, एक स्वावित्तपोषी शहर, सेल्फ सस्टेनेबल, ग्रीन पॉवर से लेकर कूड़ा प्रबंधन पर्यावरण की दृष्टि से उत्कृष्ट स्मार्ट सिटी की परिभाषा .. काश! सार्थक होती लेकिन उसी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।

First published on: Jun 11, 2024 12:50 PM

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