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Opinion

आखिर क्यों शादी से दूर भाग रही है जेनरेशन Z!

शादी को लेकर युवाओं,खासकर GenZ की सोच चर्चा के केंद्र में है। इस पीढ़ी के अधिकांश लोग शादी नहीं करना चाहते, शादी उनकी प्राथमिकता सूची में ऊपर से लेकर नीचे तक कहीं भी नहीं है। युवाओं की शादी को लेकर बदलती सोच के कई कारण हैं, लेकिन एक जिसने उनके दिमाग को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है वो है शादी की बदलती परिभाषा।

Author Abhishek Mehrotra Updated: Apr 7, 2025 20:14
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हर कुछ साल के बाद दुनिया बदलाव से गुजरती है। यह बदलाव आर्थिक ही नहीं सामाजिक भी होते हैं। कुछ बदलाव स्वीकार्य होते हैं और कुछ ऐसे जो लंबे समय तक बहस या चर्चा का मुद्दा बने रहते हैं। मौजूदा समय में शादी को लेकर युवाओं, खासकर GenZ की सोच चर्चा के केंद्र में है। इस पीढ़ी के अधिकांश लोग शादी नहीं करना चाहते, शादी उनकी प्राथमिकता सूची में ऊपर से लेकर नीचे तक कहीं भी नहीं है। पहले 100 में से इक्का-दुक्का लोग ही ऐसे मिलते थे,जो शादी को ‘बंधन’ मानते थे, लेकिन अब ऐसी सोच वालों की संख्या काफी बढ़ गई है।

शादी की परिभाषा बदली 

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इस सामाजिक बदलाव पर बहस के साथ-साथ चिंतन भी जरूरी है, क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम होंगे। युवाओं की शादी को लेकर बदलती सोच के कई कारण हैं, लेकिन एक जिसने उनके दिमाग को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है वो है शादी की बदलती परिभाषा। 80,90,2000 के दशक से लेकर अब तक शादी की परिभाषा काफी बाद तक बदल चुकी है या कहें कि विकृत हो गई है। आज शादी को नफे-नुकसान और फायदे के तराजू में तौलने वालों की कोई कमी नहीं। इस वजह से मनमुटाव का स्तर बढ़ा है और आपकी कलह आम हो गई है। इसके अलावा, एलमनी भी आजकल एक ट्रेंड बन गई है। हाल के दिनों में ही कई हाई प्रोफाइल मामले सामने आए हैं जहां एलमनी की डिमांड ने सुर्खियां बंटोरी।

इस कारण शादी से दूर भाग रहे युवा 

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अपने आसपास ही अगर हम देखें तो हर 10 में से कुछ न कुछ घर ऐसे जरूर मिलेंगे,जहां एक छत के नीचे रहने वालों के बीच भी कोसों मील की दूरी है। युवा यही सब देख रहे हैं। आमतौर पर जब हम किसी के बारे में एक जैसी बातें सुनते या देखते हैं, तो अपनी एक राय कायम कर लेते हैं और उससे बाहर निकलने की कोशिश नहीं करते। युवाओं के साथ भी यही हो रहा है। उन्हें लगने लगा है कि शादी उन्हें भी उस कैटेगरी में लाकर खड़ा कर देगी, जहां दूसरे उनकी गलतियों से सबक लेंगे और वह खुद को गलत साबित होते देखना नहीं चाहते।

लिव-इन लाइफ ने युवाओं को बनाया कूल 

आजकल शादी का अल्टरनेटिव भी मौजूद है। लिव-इन। बड़े शहरों में इस विकल्प को आजमाने वालों की तादाद काफी ज्यादा है। एक-दूसरे को पसंद करने वाले दो लोग एक-साथ आते हैं, साथ रहते हैं और पसंद का स्तर जब कम होता है, तो अपने-अपने रास्ते निकल जाते हैं। न कोई कमिटमेंट,न कोई बंदिश और न एलमनी जैसे स्यापे। यह लाइफ युवाओं को कूल लगने लगी है। पैसा जब हाथ में हो तो इनसान एक्सपेरिमेंट से हिचकता नहीं है। आजकल युवा खूब पैसा कमा रहे हैं और इसलिए वह अपनी लाइफ को लेकर हर तरह का प्रयोग कर रहे हैं। पैसा, पार्टी, एन्जॉयमेंट, उनके जीवन का एक आधार बन गया है और इसमें शादी कहीं फिट नहीं बैठती।

संयुक्त परिवारों की दरकती नींव भी एक कारण 

पारिवारिक ढांचे यानी संयुक्त परिवारों की दरकती नींव भी इसमें योगदान देती है। पहले जब परिवार एक होते थे, तो समय पर शादी प्राथमिकता होती थी। परिवारों के छोटे होने के साथ ही इस प्राथमिकता का स्तर खिसकता गया और अब पढ़ाई, नौकरी के लिए युवाओं ने घर छोड़कर दूसरे शहरों का रुख किया, तो प्राथमिकता की लिस्ट से शादी गायब ही हो गई। क्योंकि प्रत्यक्ष तौर पर शादी के लिए जोर डालने वाला कोई नहीं रहा। फोन पर हुई बातों और सामने-सामने की मुलाकातों में काफी फर्क होता है। बच्चे जब सामने होते हैं तो उनके माता-पिता की बातों को सुनने-समझने की संभावना बढ़ जाती है। यह डायरेक्ट कम्युनिकेशन अब बेहद कम हो गया है।

अब पेरेंट्स भी बच्चों पर नहीं डालते शादी का दबाव 

एक पहलू यह भी है कि अब पेरेंट्स भी बच्चों पर शादी के लिए ज्यादा दबाव नहीं डालते। केवल लड़के ही नहीं,लड़कियों के मामले में भी ऐसा है। क्योंकि उन्हें दबाव से जिंदगी के बिखरने का खतरा लगा रहता है। कई ऐसे मामले हैं जहां दबाव में हुई शदियां दुखद अंत बनकर सामने आईं। कुल मिलाकर कहें तो समाज एक बहुत बड़े बदलाव से गुजर रहा है। तमाम कारकों ने मिलकर एक ऐसा परिदृश्य तैयार किया है, जो युवाओं को शादी से दूर ले जा रहा है। अब इसके क्या फायदे हैं और क्या नुकसान यह एक अलग बहस का मुद्दा हो सकता है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं) 

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Edited By

Abhishek Mehrotra

First published on: Apr 07, 2025 06:04 PM

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