Union Budget 2025 (शैलेश रंजन, वरिष्ठ पत्रकार): अपनी तीसरी पारी में मोदी सरकार ने मिडिल क्लास के लिए पिटारा खोल दिया है। टैक्स हर मिडिल क्लास परिवार के लिए एक बड़ा दर्द होता है और जो लोग टैक्स को लेकर प्लान नहीं करते हैं, उनके लिए फरवरी और मार्च का महीना और दुखदाई होता है। जब तनख्वाह में पैसे कटते हैं। लेकिन इस बार तो नहीं, अगली फरवरी-मार्च में उनका दुख थोड़े कम होने के आसार हैं। संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि नौकरीपेशा लोगों को 12 लाख रुपए की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसे दूसरे शब्दों में कहें तो महीने में एक लाख रुपये कमाने वाले पुरुष या महिला को टैक्स नहीं देना पड़ेगा। लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि ये फायदा कब से मिलेगा और कितने पैसे बचेंगे?
कब से मिलेगा लाभ
पहले सवाल का जवाब है कि ये एक अप्रैल 2025 से लागू होकर 31 मार्च 2026 तक का बजट है, यानी आपकी कमाई इस दौरान जितनी होगी, उसी के हिसाब से आपका टैक्स लगेगा और जो छूट मिल रही है, वो उसी दौरान मिलेगी।
दूसरे सवाल का जवाब ये है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के मुताबिक, 12 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं देना होगा और पहले के मुकाबले आपको 80 हजार रुपए कम टैक्स जमा करने होंगे। इसके अलावा, नौकरीपेशा व्यक्ति को स्टैंडर्ड डिडक्शन नियम के तहत 75 हजार रुपये की और छूट मिलेगी, यानी उन्हें 12 लाख 75 हजार रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं देना होगा।
हर महीने करीब साढ़े 6 हजार रुपये की बचत होगी या यूं कहें कि हर महीने आपकी जेब में इतने पैसे ज्यादा होंगे। इसी तरह 18 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को टैक्स में 70 हजार का लाभ होगा और 25 लाख रुपये की आय वाले व्यक्ति को 1 लाख 10 हजार रुपये का लाभ होगा। ये छूट उन्हें मिलेगी जिन्होंने नई कर व्यवस्था या नए टैक्स रेजीम (New Tax Regime) के विकल्प को अपनाया है। पुरानी कर व्यवस्था या ओल्ड टैक्स रेजीम (Old Tax Regime) जस की तस रहेगी, यानी उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
क्यों अहम है ये घोषणा
पिछले कुछ सालों से मिडिल क्लास को हमेशा शिकायत रही है कि सरकार उनके लिए कुछ नहीं कर रही है और जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही है, उस हिसाब से एक तरफ तनख्वाह नहीं बढ़ रही है और दूसरी तरफ सरकार टैक्स की दरें भी कम नहीं कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि सरकार मध्यम वर्ग को एक बड़ी राहत देगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इसका भी इशारा किया कि इस नई संरचना से मध्यम वर्ग के करों में काफी कमी होगी और नौकरीपेशा लोगों के पास घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा देने के लिए धनराशि ज्यादा रहेगी।
भारत का मिडिल क्लास और इनकम टैक्स
भारत की 140 करोड़ की आबादी में सवा सात करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं। साल 2024-25 के लिए 31 जुलाई 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पहली बार सबसे ज्यादा 7 करोड़ 28 लाख लोगों ने इंकम टैक्स रिटर्न फाइल किया। इनमें से 56 लाख 57 हजार लोगों ने पहली बार टैक्स रिटर्न दाखिल किया। इनमें से 72% लोगों ने नई टैक्स कर व्यवस्था को अपनाया और 28% लोगों ने पुरानी व्यवस्था। मतलब साफ है कि नए जमाने के लोग पैसे बचाना नहीं, बल्कि खर्च करने में ज्यादा यकीन कर रहे हैं।
साल 2020-21 में इंकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या 5 करोड़ 78 लाख के करीब थी। ये संख्या बढ़ तो रही है, लेकिन जिस रफ्तार में है, उसमें हमेशा ये सवाल खड़े होते रहते हैं कि देश की आबादी की सिर्फ 4 फीसदी जनता ही रिटर्न दाखिल करती है और उसमें कुछ ही फीसदी टैक्स देती है। सरकार के एक पुराने आंकड़े के मुताबिक, करीब 2 फीसदी लोग ही टैक्स देते हैं क्योंकि रिटर्न फाइल करना और टैक्स देना, दोनों में अंतर है।
क्या ये भारत का ड्रीम बजट है
भारत में टैक्स सिस्टम अभी भी काफी जटिल है। सरकार ने कहा है कि नया इंकम टैक्स बिल अगले हफ्ते पेश होगा, यानी सरकार इसे अगले बजट में लागू करने की तैयारी में है। लेकिन किसी भी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती टैक्स देने वालों की संख्या को लेकर है। अभी भी भारत में टैक्स देने वालों की संख्या काफी कम है।
जब तक ये आंकड़ा नहीं बढ़ेगा, बहुत बड़ी राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती। माना जाता है कि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों में 50 फीसदी से ज्यादा जनता टैक्स देती है, जबकि भारत में ये संख्या करीब 2 से 3 फीसदी ही है। यानी मंजिल अभी काफी दूर है, लेकिन उम्मीद की लौ बरकरार है और फिलहाल नौकरीपेशा लोगों को इस छूट का मजा लेना चाहिए।
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