रात में जागकर नौकरी करते हैं तो हो जाएं सावधान! चूहों पर रिसर्च के बाद सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
Health Effects of Working Night Shifts: डॉक्टरों और स्वास्थ्य संगठनों की मानें तो सभी रात में पूरी नींद लेने की सलाह देते हैं, लेकिन कुछ नौकरियां ऐसी हैं जहां नाइट शिफ्ट होती है। आज कई प्राइवेट और सरकारी नौकरियों में लाखों लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं। ऐसे में उन्हें कई बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि रात में सोने और दिन में काम करने वाले लोगों के मुकाबले रात में काम करने वाले लोगों में स्वास्थ्य संबंधी जोखिम काफी ज्यादा बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न अध्ययनों और शोधों से संकेत मिले हैं कि बॉडी क्लॉक के खिलाफ काम करने से वजन बढ़ना, मधुमेह, कैंसर, अवसाद और खराब हृदय स्वास्थ्य हो सकता है।
'कब' खाना चाहिए, ये सबसे जरूरी
न्यूज साइट विओन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नए शोध से आप 'कब' खाना खाते हैं और इसका आपके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका पता चला है। यह निष्कर्ष कामकाजी लोगों पर एक अध्ययन के बाद सामने आया है, जिसमें सुझाव दिया गया था कि सोने-जागने के चक्र और दिन-रात के संकेत एक समान नहीं होते हैं, तो भूख लगने के व्यवहार में बदलाव देखा जा सकता है।
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प्रयोग कैसे किया गया?
यूनाइटेड किंगडम में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह ने सोने-जागने के चक्र से जुड़े हार्मोन और चूहों की रोजाना खाने की आदतों के बीच संबंध पर शोध किया। उन्होंने पाया कि सर्कैडियन लय (शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तन जो 24 घंटे के चक्र के बाद होते हैं) में रुकावट का चूहों के खाने के व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ा।
चूहों की प्राकृतिक शारीरिक गतिविधियों को बाधित करने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों में उजाले और अंधेरे में लक्षणों पर अध्ययन किया। इसी प्रकार देखा कि कामकाजी लोगों में कॉर्टिकोस्टेरोन का स्तर जागने से पहले काफी बढ़ जाता है और पूरे दिन धीरे-धीरे कम होता जाता है।
प्रकृति के साथ चलना फायदेमंद
उधर देखा गया है कि अबाधित लय (प्राकृतिक चक्र) वाले चूहों में भोजन लेने की मात्रा में काफी सुधार होता है। इसके साथ ही वे किसी भी प्रकार के संक्रमण से भी बचे रहते हैं। वे अपने दैनिक भोजन का लगभग आधा हिस्सा उस समय खाते हैं जब वे आम तौर पर आराम कर रहे होते हैं।
इसके अतिरिक्त अध्ययन के अनुसार भूख को दबाने वाले जीन में कमी के कारण चूहों के दिन के निष्क्रिय चरण के दौरान खाने की इच्छा काफी बढ़ गई। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट और अध्ययन लेखक स्टैफोर्ड लाइटमैन ने समझाया कि चक्र के परिणामस्वरूप उस अवधि में अच्छी भूख लगती है जब जानवर सामान्य रूप से सोते हैं।
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