गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित उत्तर में कहा कि वर्ष 2012 में लागू राष्ट्रीय मादक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ नीति के तहत नशीले पदार्थों के नियंत्रित उपयोग के साथ-साथ उनकी अवैध तस्करी, भंडारण और दुरुपयोग को रोकने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इस नीति के अंतर्गत जागरूकता अभियान, इलाज, पुनर्वास और सामाजिक पुनर्स्थापन को एकीकृत रूप से लागू किया जा रहा है.
सरकार ने बताया कि सिंथेटिक ड्रग्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए जनवरी 2025 में इनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 18 नए रसायनों को नियंत्रित सूची में शामिल किया गया है. इसके साथ ही अब कुल 45 रसायनों पर सख़्त निगरानी रखी जा रही है, ताकि इनके दुरुपयोग को रोका जा सके.
ड्रग तस्करी पर रोक के लिए समुद्री मार्गों की निगरानी को मजबूत किया गया है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा राज्यों, राजस्व खुफिया निदेशालय और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बढ़ाया गया है, जिससे रसायनों की अवैध आपूर्ति और तस्करी के नेटवर्क पर कार्रवाई की जा सके.
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर सरकार ने नशा मुक्त भारत अभियान को देश के सभी जिलों में लागू किया है. मंत्रालय के अनुसार, इस अभियान के माध्यम से अब तक 24.9 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच बनाई गई है, जिनमें 8.7 करोड़ युवा और 6 करोड़ महिलाएं शामिल हैं.
इसके अलावा देशभर में नशा मुक्ति और इलाज के लिए सैकड़ों एकीकृत पुनर्वास केंद्र, डी-एडिक्शन सेंटर और आउटरीच सेंटर संचालित किए जा रहे हैं. नशे से जुड़ी समस्याओं के समाधान और शिकायतों के लिए 1933 मानस हेल्पलाइन और 14446 टोल-फ्री हेल्पलाइन भी शुरू की गई है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग तस्करी से निपटने के लिए भारत ने 27 देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते और 19 देशों के साथ समझौता ज्ञापन किए हैं. इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसी विदेशी एजेंसियों के साथ रियल-टाइम सूचना साझा कर अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की जा रही है.
सरकार ने स्पष्ट किया कि नशे और ड्रग तस्करी के खिलाफ लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं और आने वाले समय में इस दिशा में और सख़्त कदम उठाए जाएंगे.










