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‘बेहोशी की हालत में महिला सेक्स के लिए सहमति नहीं दे सकती’, केरल HC ने खारिज की आरोपी की याचिका

Kerala High Court: केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि बेहोशी की हालत में कोई महिला सेक्स के लिए सहमति नहीं दे सकती है। ये कहते हुए जस्टिस ए बदरुद्दीन ने रेप के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे पहले आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए एससी/एसटी अधिनियम अपराधों से निपटने वाली एक […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Aug 10, 2023 11:39
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Woman in unconscious state cannot give consent for physical relation, Kerala High Court

Kerala High Court: केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि बेहोशी की हालत में कोई महिला सेक्स के लिए सहमति नहीं दे सकती है। ये कहते हुए जस्टिस ए बदरुद्दीन ने रेप के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे पहले आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए एससी/एसटी अधिनियम अपराधों से निपटने वाली एक स्पेशल कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, यहां से भी आरोपी की याचिका खारिज हो गई थी जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

आरोप है कि अनुसूचित जाति समुदाय की एक महिला को केक और जहरीले तरल पदार्थ वाली पानी की बोतल देकर उसके साथ बलात्कार किया गया था। वारदात के दौरान वह बेहोशी की हालत में थी। पीड़िता का कहना था कि चूंकि वह बेहोशी की हालत में थी, इसलिए ये नहीं माना जा सकता कि उसकी सहमति से ये सब हुआ है।

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कोर्ट ने कहा- इसलिए अग्रिम जमानत पर रोक जारी रहेगी

कोर्ट ने पाया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (एससी/एसटी अधिनियम) के तहत अपराधों में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने पर रोक लागू होगी। आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं और एससी/एसटी अधिनियम की धारा 18 और 18ए के तहत विशिष्ट रोक को देखते हुए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।

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आरोपी का क्या कहना था?

आरोपी अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के सामने दावा किया कि पीड़िता और उसके संबंध ठीक थे लेकिन रिश्ते में तनाव के कारण उसने रेप की झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता और अपीलकर्ता आरोपी के बीच फोन कॉल की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी कोर्ट में पेश की गई और आरोपी के वकील की ओर से दावा किया गया कि कथित घटना के बाद भी दोनों के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण थे।

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इस पर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कहा कि भले ही पीड़िता और अपीलकर्ता के बीच कोई संबंध था, लेकिन बलात्कार का आरोप कायम रहेगा। क्योंकि अपीलकर्ता ने पीड़िता को हानिकारक तरल पदार्थ दिया था और उसे बेहोश कर वारदात को अंजाम दिया था।

सब कुछ देखने के बाद, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है और अग्रिम जमानत के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी।

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Edited By

Om Pratap

First published on: Aug 10, 2023 08:31 AM

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