What Is Crowd Funding: देश में क्राउड फंडिंग का चलन काफी कम है, लेकिन एक बार फिर यह शब्द लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है। दरअसल, कांग्रेस ने अपने खजाने को भरने और जनता तक पहुंचने के लिए क्राउड फंडिंग का रास्ता चुना है। हालांकि, इसको लेकर राजनीतिक गलियारे में थोड़ी हलचल देखी गई थी, लेकिन इसको कांग्रेस के लिए एक सफल प्रक्रिया माना जा रहा है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी क्राउड फंडिंग के जरिए जनता के संपर्क में आए थे। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल आ रहा है कि आखिर यह क्राउड फंडिंग क्या है और इससे पार्टी को किस तरह से मदद मिलने वाली है। इस खबर में हम आपको क्राउड फंडिंग से जुड़े कई पहलुओं पर गौर कराएंगे।
क्या होती है क्राउड फंडिंग?
दरअसल, क्राउड फंडिंग 2 शब्दों को मिलाकर बना है, इसमें क्राउड का मतलब भीड़ और फंडिंग का मतलब फंड इकट्ठा करना होता है। सरल शब्दों में कहें तो, क्राउड फंडिंग का अर्थ लोगों की मदद से आर्थिक मदद हासिल करना है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वेबसाइट के जरिए संस्थान, सियासी पार्टियां, अभियान आयोजक सीधे तौर पर लोगों के विशाल नेटवर्क तक आसानी से पहुंच जाते हैं।
थोड़े-थोड़े से ही सही पर पार्टियों और संयोजकों को इससे भारी मदद मिल जाती है। क्राउड फंडिंग के कई मशहूर और बड़ी वेबसाइट्स भी मौजूद हैं। क्राउड फंडिंग लोगों के साथ एक मजबूत समन्वय स्थापित करने का एक बेहतरीन तरीका बन चुका है।
पहले और अब के क्राउड फंडिंग में क्या अंतर?
क्राउड फंडिंग का महत्व पहले भी उतना ही था, जितना आज के समय में है। हालांकि, इसके तरीके में काफी बदलाव आ गया है। पहले जहां लोगों के घर-घर जाकर और सीधे तौर पर मिलकर क्राउड फंडिंग की जाती थी, अब उसमें बदलाव है। अब के समय में तकनीकी मदद से वेबसाइट और ऐप के जरिए ही लोगों से क्राउड फंडिंग की जाती है।
हालांकि, इसका नकारात्मक प्रभाव यह पड़ता है कि इसके जरिए लोगों से सीधा संपर्क करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वहीं इसका सकारात्मक प्रभाव भी है। दरअसल यह तरीका जितना सरल है, उतना ही समय भी बचाता है। जिससे कम-से-कम समय में कोई भी आसानी से दूर तक अपनी बात रख सकता है।
कब हो सकती है क्राउड फंडिंग?
सियासी अभियानों के साथ ही और भी कई पहलू हैं, जिनके लिए क्राउड फंडिंग की जाती है। आज के समय में यदि किसी देश को भारी आर्थिक मदद भेजनी हो तो क्राउड फंडिंग की जाती है। किसी देशव्यापी अभियान के लिए कई बार सरकार और प्राइवेट एजेंसियों द्वारा भी क्राउड फंडिंग की जाती है। दरअसल, प्राइवेट एजेंसियां किसी मरीज की मदद के लिए भी क्राउड फंडिंग करती हैं, जिससे लाभार्थी का सही समय पर सही इलाज संभव हो सके।
यह भी पढ़ें: क्या विपक्ष ने खुद करवाया था अपने सांसदों को सस्पेंड? जानें क्यों उठ रहा है ये सवाल
उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं कि उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ के दौरान लोगों से अपील की गई थी कि वे अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा वहां के लोगों के लिए दान करें, ताकि उनकी मदद की जा सके। उस दौरान सभी संस्थानों ने अपने कर्मचारियों की सैलरी का कुछ हिस्सा दान किया था। ऐसे ही और भी बहुत से कारण हैं, जिस समय क्राउड फंडिंग की गई थी।
विदेशों में क्या है क्राउड फंडिंग की स्थिति?
अमेरिका जैसे विकसित देश में भी क्राउड फंडिंग काफी प्रचलित है। वहां सियासी प्रकरणों के लिए क्राउड फंडिंग एक आम जरिया बन गई है। इतना ही नहीं, युवाओं के स्टार्टअप के लिए भी वहां पर भारी मात्रा में क्राउड फंडिंग किया जाता है। हर कोई अपनी आवश्यकतानुसार क्राउड फंडिंग के जरिए मदद मांगता है और जमीनी स्तर पर लोगों से मिलकर इसके लिए अपील की जाती है।
कैसे कर सकते हैं क्राउड फंडिंग?
क्राउड फंडिंग लोगों से सीधे संपर्क करके या फिर ऑनलाइन वेबसाइट्स की मदद से की जा सकती है। किक स्टार्टर, गोफंडमी और इंडिगो जैसी कई वेबसाइट्स हजारों लोगों को इस ओर आकर्षित करती है। माना गया है कि इस क्षेत्र में यह काफी विश्वसनीय साइट्स रही हैं। क्राउड फंडिंग साइट्स जुटाए गए फंडों के परसेंटेज से रेवेन्यू जनरेट करती हैं।
क्या है क्राउड फंडिंग के नियम?
क्राउड फंडिंग में कई नियम तय किए गए हैं, ताकि कोई इसका गलत फायदा न उठा सके। विभिन्न वेबसाइट्स के मुताबिक, तय किया जाता है कि कौन फंड के लिए अप्लाई कर सकता है और किसको फंड करने की अनुमति है। यह भी तय होता है कि कौन कितना फंड कर सकता है।