देश का सरकारी बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया एक किताब के कारण विवादों में घिर गया है। बैंक के मैनेजमेंट को इस किताब ने इतना प्रभावित किया कि प्रकाशित होने से पहले इसकी करीब दो लाख प्रतियां खरीदने का फैसला कर लिया गया। इस किताब का नाम इंडिया@100 है। इन किताबों की कीमत 7.25 करोड़ रुपये थी। यह किताब भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने लिखी है। जिनको हाल ही में भारत सरकार ने आईएमएफ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद से हटाया है। जबकि उनके कार्यकाल को पूरा होने में 6 महीने से अधिक का समय बचा था। ऐसे में अब माना जा रहा है कि किताब के प्रमोशन में अनियमितताएं भी उन्हें हटाए जाने के कारणों में से एक है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इसको लेकर निशाना साधा है। सुप्रिया ने कहा कि देश के प्रमुख सरकारी बैंकों में से एक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया एक किताब के कारण विवादों में घिर गया है। बैंक के मैनेजमेंट को इस किताब को इतना प्रभावित किया कि प्रकाशित होने से पहले ही इसकी करीब दो लाख प्रतियां खरीदने का फैसला किया। इनकी कीमत 7.25 करोड़ रुपये थी। बैंक इस किताब को अपने ग्राहकों, स्थानीय स्कूलों, कॉलेजों और पुस्तकालयों में बांटना चाहता था। अब यही किताब बैंक के लिए मुश्किल का सबब बन गई है।
सुब्रमण्यम को क्यों हटाया गया?
इंडिया@100: एनविजनिंग टुमॉरोज़ इकनॉमिक पावरहाउस’ को के. वी. सुब्रमण्यन ने लिखा है जो देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) थे। सुब्रमण्यन बाद में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में भारत के नॉमिनी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी रहे। सरकार ने पिछले हफ्ते ही उनका कार्यकाल समय से पहले खत्म कर दिया। माना जा रहा है कि किताब के प्रमोशन में अनियमितताएं भी उन्हें हटाए जाने का एक कारण था।
पब्लिश ने पहले ही खरीद ली
इकोनॉमिक टाईम्स की रिपोर्ट के अनुसार बैंक के सपोर्ट सर्विसेज डिपार्टमेंट ने 18 जोनल हेड्स को बताया कि टॉप मैनेजमेंट ने किताब की हार्ड कवर और पेपरबैक संस्करणों को पूरे भारत में ग्राहकों, कंपनियों, कॉलेजों और पुस्तकालयों में वितरित करने का फैसला किया है। ये सर्कुलर जून और जुलाई 2024 में किताब के प्रकाशन से पहले ही जारी किए गए थे। सर्कुलर के अनुसार जोनल ऑफिसेज को आगे इन प्रतियों को अपने रीजनल सर्विसेज ऑफिसेज में वितरित करन का निर्देश दिया गया था। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्रीय कार्यालय या अन्य प्रतिष्ठानों के लिए ऑर्डर दिए गए थे या नहीं।
बैंक ने जारी किया था सर्कुलर
जानकारी के अनुसार जब बैंक की ओर से ऑफिस एडवाइस भेजा गया तो खरीद के लिए 50 प्रतिशत एडवांस प्रकाशक रूपा पब्लिकेशंस को पहले ही दिया जा चुका था। ऑफिस एडवाइस में कहा गया कि बाकी भुगतान क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विविध हेड के तहत उपलब्ध राजस्व बजट से किया जाना चाहिए। जब 50 प्रतिशत एडवांस को बैंक के दिसंबर में हुई बोर्ड मीटिंग में मंजूरी के लिए लाया गया तो इसके एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नितेश रंजन ने कहा कि इस खरीद के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
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बोर्ड मीटिंग में उठाए गए सवाल?
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड ने सपोर्ट सर्विसेज के जनरल मैनेजर गिरिजा मिश्रा को भुगतान खुद ही करनेे के लिए अधिकृत करने के अधिकार पर सवाल उठाया। इस पर बैंक के एमडी ने कहा कि उन्होंने मिश्रा को खरीद करने के लिए कहा था लेकिन कोई नियम तोड़ने के लिए नहीं कहा था। मीटिंग के एक सप्ताह बाद मिश्रा को निलंबित कर दिया गया। बोर्ड ने मामले की जांच के लिए केपीएमजी को नियुक्त किया। केपीएमजी ने महीने के लास्ट में रिपोर्ट बैंक के बोर्ड को सौंप दी है। रिपोर्ट में क्या सामने आया? कौन दोषी है? इसको लेकर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
कर्मचारी संघों ने क्या मांग की?
इस मामले में कर्मचारी संघों का कहना है कि जनरल मैनेजर को बलि का बकरा बनाया गया है। उन्होंने आगे जांच की मांग की है। बता दें कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया देश का चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है जिसकी वैल्यू 96 हजार 298 करोड़ रुपये है। इसके पास 9.5 लाख करोड़ रुपये का लोन बुक और 12.2 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि है।
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