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Umesh Pal Murder Case: 17 साल बाद… माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ को मिल सकती है 10 साल कैद से लेकर फांसी तक की सजा

नई दिल्ली: गैंगस्टर अतीक अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में पहुंच गया है। सोमवार को उसे यूपी पुलिस की कड़ी सुरक्षा में साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। अतीक और उसके भाई अशरफ के खिलाफ चल रहे उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी। दोनों कोर्ट में रहेंगे […]

atiq ahmad ashraf
नई दिल्ली: गैंगस्टर अतीक अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में पहुंच गया है। सोमवार को उसे यूपी पुलिस की कड़ी सुरक्षा में साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। अतीक और उसके भाई अशरफ के खिलाफ चल रहे उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी।

दोनों कोर्ट में रहेंगे मौजूद

फैसले के समय दोनों कोर्ट में मौजूद रहेंगे। इसे देखते हुए कोर्ट में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। खास बात यह है कि इस केस में दोनों आरोपियों पर जो धाराएं लगी हैं, उनमें से एक 364ए भी शामिल है। इसके तहत दस साल कैद से लेकर फांसी की सजा का भी प्रावधान है।
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उमेश पाल ने लड़ी थी लंबी कानूनी लड़ाई

पिछले महीने उमेश पाल का मर्डर हुआ था, जिसका आरोप भी अतीक और उसके भाई पर है। अतीक और उमेश को हाई सिक्योरिटी बैरक में नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया है। दरअसल, उमेश पाल ने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सजा दिलाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। इसमें करीब 17 साल लग गए थे, लेकिन 28 मार्च को फैसले से ठीक 31 दिन पहले उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उमेश पाल अपहरण केस की सुनवाई के बाद ही घर लौट रहे थे।

उमेश पाल ने जीवित रहते अपनी गवाही पूरी कर ली थी

उनके घर के पास ही दिनदहाड़े हुए इस मर्डर में भी अतीक अहमद का परिवार नामजद है। अपहरण करने वालों पर ही हत्या का भी आरोप लगाया गया है। यदि ऐसे में दोष सिद्ध होता है तो धारा 364A में 10 साल कैद की सजा से फांसी की सजा का प्रावधान है। इस केस में जीवित रहते हुए उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी।

क्यों हुआ था उमेश पाल का अपहरण?

दरअसल, 2005 में राजू पाल हत्या मामले में उमेश पाल ने अतीक अहमद के खिलाफ गवाह दी थी। इसको लेकर 2006 में उसका अपहरण हो गया था। राजू पाल प्रयागराज में नेता थे। 2002 के विधानसभा चुनाव में राजू पाल ने प्रयागराज पश्चिम सीट से अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए। 2004 में यही सीट अतीक के लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट से सांसद बनने और विधायकी से इस्तीफे के बाद खाली हो गई।
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अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम को इस सीट के लिए चुना। वहीं राजू पाल को बीएसपी से टिकट मिल गया। राजू पाल ने खालिद अजीम को 4,818 सीटों के मामूली अंतर से हरा दिया था। अपनी हार देख अतीक का परिवार बुरी तरह बौखला गया। 25 जनवरी, 2005 को राजू पाल अस्पताल से घर लौट रहे थे तब उनकी कार पर ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इसी मामले में उमेश पाल ने गवाही दी थी।
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