अमर देव पासवान, आसनसोल।
पश्चिम बंगाल में माध्यमिक परिक्षा का रिजल्ट शुक्रवार को घोषित हो गया। वहीं, पश्चिम बंगाल के आसनसोल में एक ऐसा परिवार है, जो अपनी बेटी के स्कूल टॉपर होने के बावजूद भी मातम मना रहा है। उनकी आंखों में गम के आंसू बह रहे हैं, जो उन्हें उम्रभर दर्द देते रहेंगे। यहां हम बात कर रहे हैं थोइबी मुखर्जी की, जो माध्यमिक परीक्षा में अपने स्कूल में टॉपर घोषित की गई, लेकिन दुखद की बात ये है कि थोइबी मुखर्जी अपने परिक्षा परिणाम देखने के लिए अब इस दुनिया में नहीं है। वह रिजल्ट आने से पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह गई।
700 में से 674 अंक मिले हैं थोइबी को
थोइबी 700 अंकों में से 674 अंक प्राप्त कर स्कूल में प्रथम स्थान लाई है। आसनसोल स्थित उमारानी गड़ाई बालिका विद्यालय की छात्रा थोइबी मुखर्जी ने इस वर्ष पश्चिम बंगाल माध्यमिक परीक्षा में 674 अंक प्राप्त कर स्कूल में पहला स्थान हासिल किया, लेकिन यह सफलता देखने से पहले ही 16 अप्रैल को पीलिया (जॉन्डिस) की चपेट में आकर उसकी मृत्यु हो गई।
बचपन से थी बेहद मेधावी
थोइबी बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होशियार थी। स्कूल, आस-पड़ोस और शिक्षकों को यह आशा थी कि वह राज्य के टॉप 10 में जरूर जगह बनाएगी। हालांकि, बीमार अवस्था में परीक्षा देने के कारण वह उस लक्ष्य को न छू सकी, फिर भी पूरे विद्यालय में सबसे अधिक अंक उसी ने प्राप्त किए।
इलाज के लिए परिवार ने की बहुत कोशिश
थोइबी के पिता डॉ. विवेकानंद मुखर्जी पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं। परीक्षा के बीच में ही थोइबी गंभीर रूप से बीमार हो गई थी। बेहतर इलाज के लिए उसे दक्षिण भारत भी ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की कोशिशें नाकाम रहीं। उसकी मौत से न सिर्फ परिवार बल्कि पूरा इलाका और विद्यालय स्तब्ध रह गया।
शिक्षिका की आंखें हुईं नम
स्कूल की शिक्षिका ने कहा कि थोइबी हमारे विद्यालय की गौरव थी। आज उसकी अनुपस्थिति में यह शानदार परिणाम भी अधूरा लगता है। परीक्षा परिणाम के दिन विद्यालय में एक मिनट का मौन रखकर थोइबी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। उसके सहपाठियों की आंखें उसकी तस्वीर और मार्कशीट को देखकर नम हो गईं। उन्होंने कहा कि थोइबी का जीवन, मेहनत और संघर्ष आज भी हर छात्र के लिए प्रेरणा का स्रोत है। भले ही वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी उपलब्धियां और यादें हमेशा जीवित रहेंगी।