कोलकता: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने कोलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। इसमें “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के साहित्य और फिल्म में मौजूदा बेरोकटोक विकृतियों और गलत सूचनाओं के खिलाफ भारत सरकार से कार्रवाई” करने की मांग की गई है।
Netaji Subhas Chandra Bose's grandnephew files PIL in Calcutta HC on distortion of history
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— ANI Digital (@ani_digital) November 19, 2022
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समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए चंद्र कुमार बोस ने कहा, “मोदी सरकार ने 2016-17 में गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक किया था। इसके बाद, हमें ऐसी रिपोर्टें मिलीं जिनसे पता चलता है कि नेताजी बोस ने 18 अगस्त 1945 को अपने जीवन का बलिदान दिया था। लेकिन कुछ लोग इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।” कि वह एक हवाई दुर्घटना में बाल-बाल बचे।”
सत्यापन की भी मांग की
पेश याचिका में केंद्र सरकार द्वारा “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास के साहित्य और फिल्म में मौजूदा, बेरोकटोक विकृतियों और गलत सूचनाओं” के खिलाफ तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में फिल्मों, किताबों और अन्य प्रकाशनों में चित्रित घटनाओं की ऐतिहासिक प्रामाणिकता और सत्यता के अधिक सावधानीपूर्वक सत्यापन की भी मांग की गई है।
देश की सेवा करते थे
याचिकाकर्ता ने “प्रतिष्ठित नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ किए गए प्रतिकूल व्यवहार” पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि “नेताजी उपमहाद्वीप के इतिहास में सबसे अशांत समय में से एक में रहते थे और देश की सेवा करते थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके योगदान और कार्यों का एक स्वतंत्र भारत के निर्माण में सर्वोपरि और सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।